वैश्विक बाजार में चीनी का उत्पादन घटने और कीमतों के तेज होने से निर्यात की संभावनाएं बढ़ी हैं। पिछले कई साल से मंदी के दौर से गुजर रहे घरेलू चीनी उद्योग के लिए यह अच्छा मौका माना जा रहा है। निर्यात बढ़ने से चीनी के भारी स्टॉक में कुछ कमी आने से घरेलू बाजार में भी कीमतों में सुधार हो सकता है। इससे गन्ना किसानों का बकाया भुगतान करने में सहूलियत मिलेगी।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रमुख चीनी उत्पादक देश ब्राजील, थाइलैंड और यूरोपीय संघ के देशों में गन्ने की फसल अच्छी नहीं होने से वैश्विक बाजार में चीनी के सामान्य स्टॉक में 50 लाख टन तक की कमी आने का अनुमान है। इसके मुकाबले भारत में चीनी का उत्पादन 3.02 करोड़ टन होने का अनुमान है। पिछले गन्ना वर्ष में चीनी का उत्पादन 2.74 करोड़ टन था।
वैश्विक बाजार में स्टॉक कम होने के अनुमान से अंतरराष्ट्रीय कीमतें चार साल के उच्चतम स्तर को छूने लगी हैं। इसमें और भी बढ़त दर्ज की जा सकती है। इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन का कहना है कि घरेलू स्तर पर चीनी के बड़े स्टॉक से चीनी उद्योग हलकान है जो घरेलू जरूरतों के मुकाबले लगभग दोगुना हो गया है। चीनी उद्योग ने सरकार के साथ बातचीत में ईरान जैसे बड़े आयातक देश में चीनी बेचने का रास्ता तलाशने की अपील की है।
फिलहाल अमेरिकी प्रतिबंध के चलते ईरान में चीनी निर्यात करना संभव नहीं हो पा रहा है। ईरान को रुपये अथवा तेल के बदले निर्यात पर भी प्रतिबंध है। सूत्रों का कहना है कि ईरान को किसी दूसरी मुद्रा में चीनी निर्यात को लेकर विचार विमर्श चल रहा है। स्पष्टता न होने की वजह से वहां निर्यात करना आसान नहीं है। सरकार से स्पष्ट निर्देश की जरूरत है।
60 लाख टन निर्यात का कोटा
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