चिंताजनक: पैदल यात्रियों के लिए खूनी हैं दिल्ली की सड़कें

साल 2018 में राजधानी की सड़कों पर हादसों में मरने वाले राहगीरों की संख्या में 9.6 फीसदी का इजाफा हुआ है। चिंता की बात यह है कि पैदल यात्रियों की मौत की संख्या कम नहीं हो रही है। विगत छह वर्षों के आंकड़ों पर ही नजर डालें तो यह किसी भी साल 650 से कम नहीं रही।

वहीं, दिल्ली की सड़कों पर केवल वाहनों के लिए इंतजाम हैं। यहां पैदल चलने वालों के लिए अलग से कोई ट्रैक व रेडलाइन नहीं। पैदल यात्रियों की बड़ी संख्या होने के बावजूद रोड डिजाइनिंग में इनका ख्याल नहीं रखा जाता। अधिकांश फुटपाथों पर अतिक्रमण व अवैध कब्जा है। वहीं, जो सबवे व फुटओवर ब्रिज हैं वह भी पैदल यात्रियों के अनुरूप नहीं बनें हैं। वर्ष 2018 में सड़क हादसों में कुल 770 राहगीरों की मौत हुई। जबकि 2017 में यह संख्या 702 थी।

फुट ओवर ब्रिज का इस्तेमाल कम
दिल्ली में स्थित अधिकांश फुटओवर ब्रिज व सबवे पैदल यात्रियों के अनुरूप नहीं हैं। जिसकी वजह से लोग इनका कम इस्तेमाल करते हैं। यह सही जगह नहीं बनें। या तो यह बस स्टैंड या चौराहों से आगे हैं या काफी पीछे। जिससे लोग इनका प्रयोग करने की बजाए डिवाइडर कूदकर सड़क पार करना ज्यादा उचित समझते हैं। यह केवल वहीं बनाए जाने चाहिए जहां सड़कों की चौडाई ज्यादा अधिक हो।

यहां मिली कामयाबी
कश्मीरी गेट आईएसबीटी व आनंद विहार चौराहे पर विगत वर्षों में बनाए गए सबवे व फुटओवर ब्रिज से लोगों को फायदा मिला है। ट्रैफिक पुलिस अधिकारियों की मानें तो इनके बनने के बाद यहां यातायता बहाल रखने में मदद मिली है।

स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर के प्रोफेसर सेवाराम ने बताया कि दिल्ली में विदेशों की तर्ज पर हर चौराहे व सड़क पर पैदल यात्रियों के लिए रेललाइट व अलग से ट्रैक बनाने की जरूरत है। बिना ऐसा किया यहां हादसों में मरने वाले पैदल यात्रियों की संख्या में कमी आने वाली नहीं है। इससे समय की बचत होगी। पैदल चलने वाले आसानी से रोड क्रॉस कर सकेंगे। कई चौराहों पर वाहनों की संख्या व पैदल चलने वालों दोनों की संख्या अधिक है। जिससे परेशानी बढ़ जाती है।

मौत के आंकड़े
वर्ष          मौत (राहगीर)
2017       702
2016       682
2015       684
2014       749
2013       749

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