प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीन के शहर चिंगदाओ पहुंच चुके हैं। प्रधानमंत्री यहा शुरू हो रही शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के शीर्ष नेताओं की बैठक में हिस्सा लेने के अलावा चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साध द्विपक्षीय वार्ता भी करेंगे। यह बैठक भारतीय कूटनीति के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण होगी।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीन के शहर चिंगदाओ पहुंच चुके हैं। प्रधानमंत्री यहा शुरू हो रही शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के शीर्ष नेताओं की बैठक में हिस्सा लेने के अलावा चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साध द्विपक्षीय वार्ता भी करेंगे। यह बैठक भारतीय कूटनीति के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण होगी।  चिंगदाओ में होटल पहुंचते ही यहां मौजूद भारतवंशियों ने पीएम का जोरदार स्वागत किया। इनसे मिलने के बाद प्रधानमंत्री ने शंघाई सहयोग संगठन के जनरल सेक्रेटरी रशीद अलिमोव से मुलाकात की।  खबर है कि प्रधानमंत्री रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से भी मुलाकात करेंगे। इन दोनों नेताओं के साथ मोदी की एक महीने के भीतर दूसरी मुलाकात होगी। यह भारत की बदली कूटनीतिक सोच की तरफ भी इशारा करता है। भारत स्पष्ट तौर पर इंडो-पैसिफिक मुद्दे पर अपने सारे विकल्प खुले रखना चाहता है।  प्रधानमंत्री मोदी ने सिंगापुर में शांग्रीला डायलॉग में हिंद-प्रशांत सागर क्षेत्र में टकराव दूर करने के लिए जो फॉर्मूला दिया है उसकी तारीफ चीन में भी हो रही है। चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने स्वयं विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से मोदी के भाषण की तारीफ की है। ऐसे में एससीओ बैठक में हिंद-प्रशांत क्षेत्र को लेकर कोई बड़ी घोषणा हो जाए तो कोई आश्चर्य नहीं।  View image on TwitterView image on TwitterView image on Twitter  ANI ✔ @ANI  Prime Minister Narendra Modi arrives at Hotel Le Meridien in China's Qingdao. He will be attending the SCO Summit & will hold a bilateral meeting with Chinese President Xi Jinping.  2:12 PM - Jun 9, 2018 166 39 people are talking about this Twitter Ads info and privacy यह होंगे मुद्दे  चीन की तरफ से इस बात के साफ संकेत दिए गए हैं कि अंतरराष्ट्रीय कनेक्टिविटी परियोजनाओं को लेकर भारत की तरफ से उठाए गए कई मुद्दों को वह साझा करता है। इस बारे में वुहान में मोदी व चिनफिंग की बातचीत हुई थी और शनिवार को जब शंघाई सहयोग संगठन के सम्मेलन के दौरान दोनों नेताओं की द्विपक्षीय मुलाकात होगी तब भी यह मुद्दा उठेगा।  बीआरआई पर भारतीय रुख भी नरम  चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) परियोजना को लेकर भारत के रुख में भी नरमी आई है। अब भारत का एतराज समूचे बीआरआई की बजाए इसके सिर्फ उस हिस्से को लेकर है जो गुलाम कश्मीर से होकर गुजर रहा है। मोदी और चिनफिंग के बीच अफगानिस्तान की विकास परियोजनाओं में साथ मिलकर हिस्सा लेने की तैयारी दोनों देशों के बीच बन रही सहमति का ही हिस्सा है।  इसका प्रस्ताव चीन के राष्ट्रपति की तरफ से ही मोदी के समक्ष रखा गया था। भारत ने पहले से ही अफगानिस्तान के 31 प्रांतों में 116 छोटी परियोजनाओं को चिह्नित किया है, जिनमें से कुछ का काम चीन की मदद से पूरा किया जा सकता है।  प्रधानमंत्री ने दिखाया उत्साह  चीन रवाना होने से पहले प्रधानमंत्री ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में कहा, "पूर्ण सदस्य के रूप में काउंसिल (एससीओ) के हमारे पहले सम्मेलन के लिए भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करते हुए मैं बेहद उत्साहित हूं। वार्षिक एससीओ बैठक में हिस्सा लेने के लिए 09 और 10 जून को मैं चीन के क्विंगदाओ में रहूंगा। पूर्ण सदस्य के रूप में यह भारत का पहला एससीओ सम्मेलन होगा।  एससीओ देशों के नेताओं के साथ बातचीत होगी और उनके साथ विभिन्न विषयों पर चर्चा होगी। भारत के एससीओ का पूर्ण सदस्य बनने के बाद पिछले एक साल में इस संगठन और इसके सदस्य देशों के साथ हमारा संवाद बढ़ा है। मुझे विश्वास है क्विंगदाओ सम्मेलन एससीओ के एजेंडे को और समृद्ध करेगा।"

चिंगदाओ में होटल पहुंचते ही यहां मौजूद भारतवंशियों ने पीएम का जोरदार स्वागत किया। इनसे मिलने के बाद प्रधानमंत्री ने शंघाई सहयोग संगठन के जनरल सेक्रेटरी रशीद अलिमोव से मुलाकात की।

खबर है कि प्रधानमंत्री रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से भी मुलाकात करेंगे। इन दोनों नेताओं के साथ मोदी की एक महीने के भीतर दूसरी मुलाकात होगी। यह भारत की बदली कूटनीतिक सोच की तरफ भी इशारा करता है। भारत स्पष्ट तौर पर इंडो-पैसिफिक मुद्दे पर अपने सारे विकल्प खुले रखना चाहता है।

प्रधानमंत्री मोदी ने सिंगापुर में शांग्रीला डायलॉग में हिंद-प्रशांत सागर क्षेत्र में टकराव दूर करने के लिए जो फॉर्मूला दिया है उसकी तारीफ चीन में भी हो रही है। चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने स्वयं विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से मोदी के भाषण की तारीफ की है। ऐसे में एससीओ बैठक में हिंद-प्रशांत क्षेत्र को लेकर कोई बड़ी घोषणा हो जाए तो कोई आश्चर्य नहीं।

यह होंगे मुद्दे

चीन की तरफ से इस बात के साफ संकेत दिए गए हैं कि अंतरराष्ट्रीय कनेक्टिविटी परियोजनाओं को लेकर भारत की तरफ से उठाए गए कई मुद्दों को वह साझा करता है। इस बारे में वुहान में मोदी व चिनफिंग की बातचीत हुई थी और शनिवार को जब शंघाई सहयोग संगठन के सम्मेलन के दौरान दोनों नेताओं की द्विपक्षीय मुलाकात होगी तब भी यह मुद्दा उठेगा।

बीआरआई पर भारतीय रुख भी नरम

चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) परियोजना को लेकर भारत के रुख में भी नरमी आई है। अब भारत का एतराज समूचे बीआरआई की बजाए इसके सिर्फ उस हिस्से को लेकर है जो गुलाम कश्मीर से होकर गुजर रहा है। मोदी और चिनफिंग के बीच अफगानिस्तान की विकास परियोजनाओं में साथ मिलकर हिस्सा लेने की तैयारी दोनों देशों के बीच बन रही सहमति का ही हिस्सा है।

इसका प्रस्ताव चीन के राष्ट्रपति की तरफ से ही मोदी के समक्ष रखा गया था। भारत ने पहले से ही अफगानिस्तान के 31 प्रांतों में 116 छोटी परियोजनाओं को चिह्नित किया है, जिनमें से कुछ का काम चीन की मदद से पूरा किया जा सकता है।

प्रधानमंत्री ने दिखाया उत्साह

चीन रवाना होने से पहले प्रधानमंत्री ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में कहा, “पूर्ण सदस्य के रूप में काउंसिल (एससीओ) के हमारे पहले सम्मेलन के लिए भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करते हुए मैं बेहद उत्साहित हूं। वार्षिक एससीओ बैठक में हिस्सा लेने के लिए 09 और 10 जून को मैं चीन के क्विंगदाओ में रहूंगा। पूर्ण सदस्य के रूप में यह भारत का पहला एससीओ सम्मेलन होगा।

एससीओ देशों के नेताओं के साथ बातचीत होगी और उनके साथ विभिन्न विषयों पर चर्चा होगी। भारत के एससीओ का पूर्ण सदस्य बनने के बाद पिछले एक साल में इस संगठन और इसके सदस्य देशों के साथ हमारा संवाद बढ़ा है। मुझे विश्वास है क्विंगदाओ सम्मेलन एससीओ के एजेंडे को और समृद्ध करेगा।”