भू-धंसाव और भूस्खलन से तहस-नहस हुए क्यूंजा घाटी के किणझाणी गांव के 60 परिवारों ने अपने घर छोड़ दिए हैं। 14 आपदा प्रभावित परिवार स्कूलों में रह रहे हैं, जबकि 44 परिवार अपने नाते-रिश्तेदारों के घर चले गए हैं।
मवेशियों को अन्यत्र ले जाने की कोई व्यवस्था न होने पर ग्रामीण दिन में अपने घरों में लौट रहे हैं, जबकि शाम होते ही गांव छोड़कर जा रहे हैं। गांव के निचले क्षेत्र में खेतों में दरारें पड़ गई है, जिससे कृषि भूमि भी तहस-नहस हो गई है। ग्रामीणों ने रुद्रप्रयाग जिला प्रशासन से उन्हें अन्यत्र विस्थापित करने की मांग उठाई है।
मोहनखाल से करीब 4 किमी की दूरी पर स्थित किणझाणी गांव (रुद्रप्रयाग) बीते 20 सालों से भू-धंसाव का दंश झेल रहा है। पिछले तीन सालों में यहां तेजी से भू-धंसाव हो रहा है। बीते दिनों से रुक-रुककर हो रही भारी बारिश के चलते गांव के ऊपरी क्षेत्र में बांसवाड़ा-मोहनखाल मोटर मार्ग पर करीब 20 मीटर तक भू-धंसाव हो गया है, जबकि गांव के निचले क्षेत्र में घट गदेरे से भूस्खलन हो रहा है। जिससे गांव में कई मकानों में दरारें आ गई हैं।
भू-धंसाव और भूस्खलन का दायरा बढ़ने से करीब 60 परिवार गांव छोड़कर चले गए हैं। पांच परिवार जूनियर हाईस्कूल मोहनखाल, तीन परिवार प्राथमिक विद्यालय देवीसैंण और चार परिवार प्राथमिक किणजाणी में रह रहे हैं। इसके अलावा 46 परिवार पाला खर्क, पल्ला और रावा गांव में अपने रिश्तेदारों के घर चले गए हैं।
प्राथमिक विद्यालय किणजाणी में रह रहे सुधीर बिष्ट ने बताया कि गांव पहाड़ी की ढलान पर होने के कारण गांव की जमीन में भी भू-धंसाव हो रहा है। ग्रामीण दिन में अपने मवेशियों को चारा देने के लिए गांव में पहुंच रहे हैं। शाम होते ही विद्यालय व रिश्तेदारों के यहां लौट रहे हैं। किणझाणी के ग्राम प्रधान महेंद्र सिंह बिष्ट का कहना है कि 60 परिवारों के सामने गांव छोड़ने के अलावा कोई रास्ता नहीं बच गया था। उन्होंने प्रशासन से प्रभावितों के लिए टिन शेड और राहत सामग्री देने की मांग की है। ग्रामीण चरण सिंह और आशुतोष ने गांव का शीघ्र पुनर्वास करने की मांग की है।
किणझाणी गांव के मकान भूस्खलन व भू-धंसाव की चपेट में हैं। गांव के ऊपरी हिस्से के ड्रेनेज सिस्टम को सुधारने और गदेरे से हो रहे कटाव को रोकने के लिए मेजर ट्रीटमेंट की आवश्यकता है। गांव का पुनर्वास किया जाना चाहिए।
- मनोज रावत, पूर्व विधायक, केदारनाथ विधानसभा क्षेत्र
जो परिवार स्कूलों में रह रहे हैं, उन्हें खाद्यान्न किट उपलब्ध कराए गए हैं। गांव के कुछ घरों में दरारें आई हैं। गत वर्ष फरवरी में भू-वैज्ञानिकों ने गांव का भूगर्भीय सर्वेक्षण किया था। अभी इसका अध्ययन किया जा रहा है। यदि भू-धंसाव, भूस्खलन की स्थिति नहीं सुधरी तो गांव का पुनर्वास किया जाएगा।
- श्याम सिंह राणा, एडीएम, रुद्रप्रयाग