हर वक्त कनेक्टेड रहने की जरूरत ने हमारी मोबाइल फोन पर निर्भरता बढा दी है। लेकिन हमेशा ऐसा हो ये जरूरी नहीं। जब फोन अपने सबसे करीबी टावर से संपर्क नहीं कर पाता है तो हमें खराब नेटवर्क या कभी कभी नेटवर्क बिल्कुल गायब होने जैसी समस्या का सामना करना पड़ता है।
बाहर के मुकाबले घर या ऑफिस के भीतर खराब नेटवर्क की समस्या ज्यादा देखने को मिलती है। क्योंकि घर और ऑफिस में हम हमेशा दीवारों और कई दूसरी ऐसी रुकावटों से घिरे रहते हैं, जो सिग्नल को फोन तक पहुंचने नहीं देती। क्या इस समस्या को हल करने का कोई तरीका है ?
Airtel ने हाल ही में एलान किया है कि वो L900 नाम की एक नई टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करने जा रहे हैं। इसमें 900MHz बैंड का इस्तेमाल होता है, जिसकी मदद से घरों और दफ्तरों के अंदर ग्राहकों को बेहतर सिग्नल दिया जा सकेगा। ये टेक्नॉलजी किस तरह से घरों और दफ्तरों के भीतर खराब नेटवर्क की समस्या को सुलझा सकती है, ये समझने के लिए जानते हैं कि L900 टेक्नॉलजी, किस तरह से मोबाइल कनेक्टिविटी को प्रभावित करती है।
मोबाइल फोन, एक खास फ्रीक्वेंसी बैंड या स्पेक्ट्रम (जैसे 2300 MHz, 1800 MHz ) वाली तरंगों की मदद से मोबाइल टावर से संपर्क करते हैं। और जैसा कि फिज़िक्स का नियम है कि फ्रीक्वेंसी जितनी ज्यादा होगी, तंरगों के लिए लंबी दूरी तय करना और दीवार या दूसरी रुकावटों को पार कर पाना उतना ही मुश्किल होता है।
ऐसे में ये समझना काफी आसान है कि आखिर छोटी फ्रीक्वेंसी वाले स्पेक्ट्रम बड़ी फ्रीक्वेंसी वाले स्पेक्ट्रम से क्यों बेहतर हैं। हालांकि छोटी फ्रीक्वेंसी के स्पेक्ट्रम देने के लिए टेलीकॉम कंपनियों को एक विशेष तरह का उच्च स्तरीय इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार करना पड़ता है।