मध्य प्रदेश के ग्वालियर में सोमवार को शहर में दिनदहाड़े हुई 1.20 करोड़ रुपये की लूट के मामले का पुलिस महज 6 घंटे में ही खुलासा कर दिया है। कंपनी के एक कर्मचारी ने ही अपने साथियों के साथ मिलकर लूट की साजिश रची थी। पुलिस ने 3 आरोपियों को गिरफ्तार कर पूरा पैसा भी बरामद कर लिया है। हालांकि, एक आरोपी अभी फरार है, जिसकी तलाश की जा रही है।
दरअसल, हर सप्ताह यही दोनों कर्मचारी मोटी रकम लेकर कंपनी दफ्तर से बैंक जाते थे, लेकिन बार-बार इतनी रकम ले जाने पर इनकी नीयत डोल गई। इसके बाद इन्होंने अपने दो अन्य साथियों के साथ मिलकर शहर की सबसे बड़ी लूट की प्लानिंग कर उसे अंजाम तक पहुंचाया।
इस लूट कांड की जांच के दौरान पुलिस को CCTV फुटेज में दोनों कर्मचारियों द्वारा विरोध न करना और बीच बाजार में आराम से लुट जाने पर पुलिस को संदेह हुआ। लूट की कहानी बार-बार पूछी गई तो कर्मचारी टूट गया फिर पुलिस ने पूरे मामले का खुलासा कर दिया।
नंगे पैर एसपी ऑफिस पहुंचे मंत्री
वहीं, पुलिस द्वारा लूट केस के खुलासे के बाद प्रदेश के ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर नंगे पैर एसपी ऑफिस पहुंचे। उन्होंने पुलिसकर्मियों को सम्मान के तौर पर एक-एक हजार रुपये का नकद पुरस्कार दिया है।
बता दें कि पुलिस की पूछताछ में पकड़े गए आरोपियों ने बताया है कि उन्होंने लूट करने से पहले घटनास्थल का पूरा निरीक्षण कर लूट की रिहर्सल की थी। इसके बाद ही उन्होंने लूट की फर्जी घटना को अंजाम दिया, लेकिन लूटी गई रकम का हिस्सा करके आरोपी भाग पाते इससे पहले ही पुलिस के हत्थे चढ़ गए।
जानकारी के अनुसार, मेहताब सिंह गुर्जर ट्रांसपोर्टर हैं और डीडी नगर में उनका हरेन्द्र ट्रेडिंग नाम से दफ्तर है और इस कंपनी में बाल किशन साहू भी साझेदार हैं। प्रमोद गुर्जर और सुनील शर्मा कंपनी के कर्मचारी हैं। सोमवार सुबह कंपनी के कर्मचारी कंपनी की कार हुंडई वरना MP07 CF-6430 से इंदरगगंज बैंक ऑफ बडौदा के लिए निकले थे। डिक्की में उन्होंने रुपयों से भरा कार्टन रख था जिसमें 1.20 करोड़ रुपए थे, जबकि 30 लाख रुपये कार की सीट पर एक बैग में रखे थे। यह दो दिन शनिवार और रविवार का कलेक्शन था। सोमवार दोपहर में जैसे ही यह कर्मचारी बैंक के पास छप्परवाला पुल से राजीव प्लाजा वाली गली में पहुंचे थे तभी वहां दो लुटेरों ने उन्हें कट्टा दिखाकर कार की डिक्की खुलवाई और रुपयों से भरा कार्टन लूटकर ले गए।
घटना की जानकारी मिलने के बाद पुलिस मौके पर पहुंची और जांच-पड़ताल शुरू कर दी। शुरुआती से ही पुलिस को कर्मचारियों की भूमिका पर शक था।