गैंगस्टर विकास दुबे के एनकाउंटर के बाद यूपी पुलिस की STF टीम खूब तारीफें बटोर रही है

कानपुर गोलीकांड में 8 पुलिसवालों की हत्या के मुख्य आरोपी विकास दुबे की शुक्रवार सुबह पुलिस एनकाउंटर में मौत हो गई. घटनाक्रम के अनुसार उत्तर प्रदेश STF की टीम विकास दुबे को उज्जैन से लेकर कानपुर पहुंच रही थी, जहां गाड़ी पलटने के बाद विकास ने भागने की कोशिश की.

इसी दौरान एनकाउंटर हुआ और विकास दुबे मारा गया. एसटीएफ की टीमें दो जुलाई से ही विकास दुबे की तलाश कर रही थीं. आइए जानते हैं, क्या है STF, कब हुआ था गठन, कैसे काम करती है.

विकास दुबे के एनकाउंटर के बाद उत्तर प्रदेश पुलिस की एसटीएफ टीम खूब तारीफें बटोर रही है. सोशल मीडिया पर कई जगह लोग पुलिस के एनकाउंटर को लेकर खि‍ंचाई भी कर रहे हैं. बता दें कि यूपी पुलिस की एसटीएफ यानी स्पेशल टास्क फोर्स (Special Task Force)  का गठन चार मई 1998 को हुआ था.

यूपी पुलिस की आध‍िकारिक वेबसाइट से ली गई जानकारी के अनुसार इस टास्क फोर्स का गठन खास 5 मकसदों के लिए किया गया था. फोर्स का पहला मकसद माफिया गैंग्स के बारे में सारी जानकारी हासिल करना और फिर उसी इंटेली‍जेंस पर आधारित जानकारियों पर उन गैंग्स के ख‍िलाफ एक्शन  लेना है.

वहीं दूसरा मकसद था कि उस गैंग के ख‍िलाफ कार्रवाई के लिए पूरी योजना बनाकर उसे कार्यरूप कैसे दिया जाए. इसमें खासकर आईएसआई एजेंट्स(हालांकि बाद में आईएसआई एजेंट्स की जिम्मेदारी एटीएस को दी गई) और बड़े अपराध‍ियों पर श‍िकंजा कसना शामिल है. इसका तीसरा उद्देश्य जिला पुलिस के साथ समन्वय करके लिस्टेड गैंग के खि‍लाफ एक्शन लेना था.

एसटीएफ का चौथा मकसद डकैतों के गिरोह और खासकर अंतर डिस्ट्र‍िक्ट बदमाशों के गिरोहों पर शि‍कंजा कसके उन पर प्रभावी कार्रवाई करना है. इसके अलावा विभ‍िन्न जिलों के ऑर्गनाइज्ड क्रिमिनल्स् यानी माफियाओं पर श‍िकंजा कसना इसका पांचवा उद्देश्य है.

कहते हैं कि इस टास्क फोर्स के गठन का विचार यूपी के एक माफिया श्रीप्रकाश शुक्ला पर शि‍कंजा कसने को लेकर आया था. बताते हैं कि श्रीप्रकाश के ताबड़तोड़ अपराध सरकार और पुलिस के लिए सिरदर्द बन चुके थे. सरकार ने उसके खात्मे का मन बना लिया था. लखनऊ सचिवालय में यूपी के मुख्‍यमंत्री, गृहमंत्री और डीजीपी की एक बैठक हुई.

इसमें अपराधियों से निपटने के लिए स्‍पेशल फोर्स बनाने की योजना तैयार हुई. 4 मई 1998 को यूपी पुलिस के तत्‍कालीन एडीजी अजयराज शर्मा ने राज्य पुलिस के बेहतरीन 50 जवानों को छांट कर स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) बनाई. इस फोर्स का पहला टास्क था- श्रीप्रकाश शुक्ला, जिंदा या मुर्दा.

एसटीएफ का नेतृत्व एक अतिरिक्त महानिदेशक रैंक (ADG) का अधिकारी करता है, जिसकी सहायता पुलिस महानिरीक्षक (IG) करता है. एसटीएफ टीमों के रूप में काम करती है, जिसमें प्रत्येक टीम डिप्टी एसपी के अतिरिक्त एसपी के नेतृत्व में होती है.

एसटीएफ द्वारा संचालित सभी अभियानों के प्रभारी एसएसपी होते हैं. स्पेशल टास्क फोर्स के पास पूरे यूपी का क्षेत्राधिकार है. सिर्फ उत्तर प्रदेश ही नहीं संबंधित राज्य पुलिस की सहायता से इसकी टीमें राज्य के बाहर भी काम करती हैं.

यूपी एसटीएफ अपने लीड तक पहुंचने के लिए आसपास के खुफिया तंत्र का सहारा लेती है, जिसमें कई तरह के लोग होते हैं. इसके अलावा टास्क फोर्स सर्विलांस जैसी तकनीके और एक पूरी फुलप्रूफ रणनीत‍ि पर काफी निर्भर रहता है. अपने गठन के 15 साल के भीतर ही फोर्स ने भारत के राष्ट्रपति से 81 पुलिस वीरता पदक हासिल किए. इस टास्क फोर्स के 60 अफसरों को विशिष्ट वीरता के कृत्यों के लिए आउट-ऑफ-टर्न प्रमोशन भी मिल चुका है.

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com