गुजरात में बने 9000 HP के ताकतवर इलेक्ट्रिक इंजन से रेलवे में क्या बदलेगा?

9000 HP का यह नया इंजन भारतीय रेलवे के लिए नए युग की शुरुआत है। इससे माल ढुलाई में तेजी, किफायत और स्थायित्व आएगा। यह न केवल भारत की औद्योगिक क्षमता और आत्मनिर्भरता का उदाहरण है, बल्कि वैश्विक रेल बाजार में भारत की मजबूत मौजूदगी को भी दिखाता है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात के दाहोद में भारतीय रेलवे के अब तक के सबसे ताकतवर 9000 हॉर्सपावर (HP) वाले इलेक्ट्रिक इंजन को हरी झंडी दिखाई। रेलवे मंत्रालय के मुताबिक, यह इंजन पूरी तरह से एकल यूनिट (सिंगल यूनिट) है और इससे पहले मालगाड़ियों के लिए 4500 या 6000 HP के इंजन ही इस्तेमाल होते थे।

मामले में रेलवे मंत्रालय ने बताया कि अब तक 12,000 HP के इंजन दो 6000 HP इंजन को जोड़कर बनाए जाते थे, लेकिन यह नया इंजन एक ही यूनिट में अधिक ताकत देता है। इसकी वजह से अब ज्यादा लंबी और भारी मालगाड़ियां भी आसानी से चलाई जा सकेंगी। इससे रेलवे को कम ट्रिप में ज्यादा माल ढोने की सुविधा मिलेगी, जिससे समय की बचत, कम भीड़भाड़ और बेहतर लॉजिस्टिक प्रबंधन संभव होगा।

रेलवे के मुताबिक, इस इंजन की ताकत से कम इंजन में ज्यादा माल खींचा जा सकेगा, जिससे भीड़भाड़ वाले माल ढुलाई मार्गों (हाई डेंसिटी फ्रेट रूट्स) पर दबाव कम होगा। इससे रेल ट्रैफिक का बेहतर प्रबंधन होगा और ऑपरेटिंग खर्च, स्टाफ की जरूरत और ऊर्जा खपत में भी कमी आएगी।

‘मेक इन इंडिया’ का बड़ा उदाहरण
इस इंजन का निर्माण दाहोद की उस फैक्ट्री में हुआ है, जिसकी स्थापना पीएम मोदी ने 2022 में की थी। यह फैक्ट्री Siemens इंडिया के साथ साझेदारी में बनी है और यहां 1,200 आधुनिक इलेक्ट्रिक इंजन बनने हैं।

रेलवे मंत्रालय ने बताया कि इस परियोजना में 89% पुर्जे भारत में बने हैं, जिससे यह पूरी तरह से ‘मेक इन इंडिया’ और ‘मेक फॉर वर्ल्ड’ के विजन पर खरी उतरती है।

ग्रीन एनर्जी से बनी फैक्ट्री, एक्सपोर्ट की भी तैयारी
यह फैक्ट्री न सिर्फ भारतीय रेल के लिए ब्रॉड गेज इंजन बनाएगी, बल्कि स्टैंडर्ड गेज इंजन भी बनाएगी जो निर्यात (एक्सपोर्ट) किए जाएंगे। निर्माण प्रक्रिया हरित ऊर्जा (ग्रीन एनर्जी) से संचालित होती है, जिस कारण इस प्लांट को ‘ग्रीन मैन्युफैक्चरिंग’ टैग मिला है।

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