सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बावजूद हिंदुस्तान में मॉब लिंचिंग की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं. अब गुजरात के दाहोद में भीड़ ने एक युवक की चोरी करने के शक में पीट-पीटकर हत्या कर दी, जबकि दूसरे युवक को गंभीर रूप से घायल कर दिया. घायल युवक को अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहां उसका इलाज चल रहा है.
आरोप है कि भारूच बलाच और अजमल मोहनिया नाम के ये दोनों युवक दाहोद में चोरी करने आए थे, लेकिन पकड़े गए. इसके बाद गुस्साए लोगों ने इन दोनों की बुरी तरह पिटाई कर दी, जिससे एक की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि दूसरा बुरी तरह जख्मी हो गया. उसको घायल अवस्था में अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उसकी हालत गंभीर बनी हुई है.
बताया जा रहा है कि ये दोनों युवक दो दिन पहले ही जमानत पर जेल से बाहर आए थे. दोनों लूट और चोरी करने के आरोप में जेल गए थे. फिलहाल पुलिस मामले की जांच कर रही है. बताया जा रहा है कि शनिवार रात ये दोनों युवक दाहोद के झाडोल तहसील के काली मोहाडी में कथित तौर पर चोरी करने गए थे, लेकिन गांव वालों ने इनको पकड़ लिया.
इसके बाद गुस्साए गांव वालों ने इन दोनों युवकों की जमकर पिटाई कर दी, जिसमें अजमल मोहनिया की मौके पर ही मौत हो गई. जबकि दूसरा युवक भारुच बलाच बुरी तरह जख्मी हो गया. उसको अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहां उसकी हालत गंभीर बनी हुई है.
वहीं, मॉब लिंचिंग के इस मामले में पुलिस ने 100 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है. फिलहाल पुलिस मामले की जांच कर रही है. बेशक इन युवकों पर चोरी करने का आरोप है, लेकिन यहां सवाल यह है कि आखिर भीड़ को कानून अपने हाथ में लेने का अधिकार किसने दिया? खासकर तब जब सुप्रीम कोर्ट ने मॉब लिंचिंग की घटनाओं के खिलाफ फैसला सुनाया है.
लिंचिंग की घटनाओं पर हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए कहा था कि जहां तक कानून व्यवस्था का सवाल है, तो प्रत्येक राज्य की जिम्मेदारी है कि वो ऐसे उपाय करे कि हिंसा हो ही नहीं.
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली बेंच ने साफ कहा था कि कोई भी शख्स कानून को किसी भी तरह से हाथ में नहीं ले सकता. कानून व्यवस्था को बहाल रखना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है और प्रत्येक राज्य सरकार को ये जिम्मेदारी निभानी होगी. भीड़ हिंसा गंभीर अपराध है.
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