गुजरात के सूरत में कोरोना से हो रही मौतों ने भयावह रूप ले लिया है। यहां शवों के अंतिम संस्कार का सिलसिला इतना अधिक बढ़ गया है कि चिताओं की चिमनियां भी पिघलने लगी हैं। सूरत के अश्विनी कुमार और रामनाथ घेला श्मशान घाट के प्रमुख हरीशभाई उमरीगर का कहना है कि यहां रोजाना 100 से ज्यादा शवों का अंतिम संस्कार हो रहा है।
इस कारण चिमनियां ठंडी नहीं हो रही हैं और वो पिघलने लगी हैं। इसी तरह सूरत के रांदेर और रामपुरा के कब्रिस्तानों में भी मैय्यत आने का सिलसिला लगातार जारी है। यहां समान्य दिनों में औसतन दो से तीन शव दफनाए जाते थे, लेकिन अब ये आंकड़ा बढ़कर 10 से 12 हो गया है।
मृतकों की संख्या में बढ़ोतरी होने के चलते 14 साल से बंद तापी नदी के तट पर कैलाश मोक्षधाम शवदाह गृह को फिर से खोल दिया गया है। तीन दिन में यहां 50 से ज्यादा अंतिम संस्कार हो चुके हैं। श्मशान घाटों पर तीन से चार घंटे की वेटिंग चल रही है।
मां की गलती से उसके 11 दिन का मासूम कोरोना संक्रमण की चपेट में आ गया है। बच्चा वेंटिलेटर पर जिंदगी से जंग लड़ रहा है। उसे रेमेडेसिविर इंजेक्शन भी लगाया गया है। इलाज कर रहे बाल रोग विशेषज्ञ अप्लेश सिंघवी का कहना है कि ‘मां को प्रसव के बाद सर्दी-खांसी की शिकायत थी जिसके बारे में उसने नहीं बताया।
इसी कारण बच्चे तक संक्रमण पहुंच गया। बच्चे को रेमेडेसिविर इंजेक्शन लगाया गया है और उसकी हालत में सुधार हो रहा है।’ डॉ. सिंघवी का कहना है कि बच्चों के मामलों में अधिक सावधानी बरतनी होगी। लक्षण का पता चलने पर उसे छुपाए नहीं।