गुजरात में खेत तालाब का 10.54 करोड़ रुपये के भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है। भ्रष्टाचार निरोधी शाखा ने बिना तालाबों का निर्माण किए ही भ्रष्टाचार करने वाले जमीन विकास निगम के सहायक निदेशक के खिलाफ मामला दर्ज किया है। राज्य भ्रष्टाचार निरोधी शाखा द्वारा अभी तक का यह सबसे बड़ा मामला हैं। जमीन विकास निगम के सहायक निदेशक ने दक्षिण गुजरात के वलसाड एवं आदिवासी बाहुल्य डांग- आहवा जिले में यह भ्रष्टाचार किया है। सहायक निदेशक प्रवीण कुमार बालचंद्र प्रेमल ने पुत्र चिराग की मदद से इसे अंजाम दिया है। उसके पास से आय से अधिक 10,54,57,416 रुपये की जानकारी मिली।
गुजरात सरकार ने सिंचाई के लिए किसानों के खेत में ही खेत तालाब बनाकर पानी संग्रह करने की नई योजना शुरू की है। इसके लिए सरकार किसानों को ग्रांट देती है। गुजरात के धरमपुर, कपराडा, आहवा-डांग में हजारों की तादाद में खेत तालाब केवल कागज पर ही बनाकर उनका करोड़ों रुपये का भ्रष्टाचार जमीन विकास निगम के धरमपुर के सहायक निदेशक प्रवीण कुमार प्रेमल द्वारा किया गया। सरकार को इसकी भनक मिलते ही खेत तलावड़ी के 26 मामले रिश्वत निरोधी ब्यूरो में दर्ज करवाए गए थे। इसकी जांच से कुल 2,61,60,924 करोड़ रुपये के भ्रष्टाचार का पर्दाफाश हुआ।
इसके मद्देनजर भ्रष्टाचार निरोधी ब्यूरो ने उसकी संपत्ति की जांच शुरू की। इस जांच के दौरान उसके भ्रष्टाचार की कलई खुलने लगी। इससे जानकारी मिली कि उसके तथा उसके परिजनों के नाम पर आय से अधिक 10.54 करोड़ रुपये की संपत्ति है। भ्रष्टाचार निरोधी ब्यूरो ने विविध जांच के बाद उसके पुत्र चिराग एवं पत्नी दमयंती के खिलाफ भी जांच शुरू की है।
जमीन विकास निगम के भ्रष्टाचारी अधिकारी प्रवीण कुमार प्रेमल ने अपने पुत्र चिराग को ही इस मामले में गैंग लीडर बनाकर जीएलडीसी कार्यालय में विविध योजनाओं का बिल प्रस्तुत किया था। उसने पुत्र चिराग के बैंक खाते में 3.92 करोड़ रुपये जमा करवाए थे। बाद में इसे पत्नी दमयंती के खाते में जमा करवा दिया था।
उल्लेखनीय है कि प्रवीण कुमार प्रेमल 26 जुलाई, 1990 में गुजरात जमीन विकास निगम लि. अहमदाबाद में फील्ड ऑफिसर के पद पर नियुक्त हुआ था। उसकी पहली नियुक्ति छोटा उदयपुर में हुई। उसके बाद पाटण, राधनपुर, बनासकांठा, गांधीनगर, भुज, दाहोद, धरमपुर, आहवा, धोलका, और अमरेली में तबादला हुआ। वह 2016 में प्रोन्नत होकर सहायक निदेशक नियुक्त हुआ। उसके बाद उसने इस सबसे बड़े भ्रष्टाचार को अंजाम दिया। इससे पूर्व 1998-99 में भी उस पर भ्रष्टाचार की शिकायत दर्ज हुई थी।