गुजरात में कांपी धरती, कच्छ में 3.7 की तीव्रता के भूकंप के झटके महसूस किए गए

पिछले महीने 18 नवंबर को कच्छ में चार की तीव्रता से भूकंप आया था। इसके ठीक तीन दिन पहले 15 नवंबर को उत्तर गुजरात के पाटन में 4.2 की तीव्रता से भूकंप के झटके महसूस किए गए थे।

गुजरात के कच्छ में सोमवार की सुबह 3.7 की तीव्रता से भूकंप के झटके महसूस किए गए। फिलहाल किसी के हताहत होने की कोई जानकारी नहीं है। यह झटका सुबह के 10.44 बजे महसूस किया गया था। जिले में इस महीने तीन की अधिक तीव्रता से यह दूसरी भूकंपीय झटका है। इससे पहले सात दिसंबर को जिले में 3.2 की तीव्रता से भूकंप के झटके महसूस किए गए थे।

पिछले महीने 18 नवंबर को कच्छ में चार की तीव्रता से भूकंप आया था। इसके ठीक तीन दिन पहले 15 नवंबर को उत्तर गुजरात के पाटन में 4.2 की तीव्रता से भूकंप के झटके महसूस किए गए थे। बता दें कि गुजरात एक उच्च भूकंप जोखिम वाला क्षेत्र है। पिछले 200 वर्षों में इस राज्य ने नौ बड़े भूकंप के झटके झेले हैं। 26 जनवरी 2001 को कच्छ में आया भूकंप पिछले दो दशक में भारत में तीसरा सबसे बड़ा भूकंप था।

क्यों आता है भूकंप?
पृथ्वी के अंदर 7 प्लेट्स हैं, जो लगातार घूमती रहती हैं। जहां ये प्लेट्स ज्यादा टकराती हैं, वह जोन फॉल्ट लाइन कहलाता है। बार-बार टकराने से प्लेट्स के कोने मुड़ते हैं। जब ज्यादा दबाव बनता है तो प्लेट्स टूटने लगती हैं। नीचे की ऊर्जा बाहर आने का रास्ता खोजती हैं और डिस्टर्बेंस के बाद भूकंप आता है।

जानें क्या है भूंकप के केंद्र और तीव्रता का मतलब?
भूकंप का केंद्र उस स्थान को कहते हैं जिसके ठीक नीचे प्लेटों में हलचल से भूगर्भीय ऊर्जा निकलती है। इस स्थान पर भूकंप का कंपन ज्यादा होता है। कंपन की आवृत्ति ज्यों-ज्यों दूर होती जाती हैं, इसका प्रभाव कम होता जाता है।

फिर भी यदि रिक्टर स्केल पर 7 या इससे अधिक की तीव्रता वाला भूकंप है तो आसपास के 40 किमी के दायरे में झटका तेज होता है। लेकिन यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि भूकंपीय आवृत्ति ऊपर की तरफ है या दायरे में। यदि कंपन की आवृत्ति ऊपर को है तो कम क्षेत्र प्रभावित होगा।

कैसे मापा जाता है भूकंप की तिव्रता और क्या है मापने का पैमाना?
भूंकप की जांच रिक्टर स्केल से होती है। इसे रिक्टर मैग्नीट्यूड टेस्ट स्केल कहा जाता है। रिक्टर स्केल पर भूकंप को 1 से 9 तक के आधार पर मापा जाता है। भूकंप को इसके केंद्र यानी एपीसेंटर से मापा जाता है।

भूकंप के दौरान धरती के भीतर से जो ऊर्जा निकलती है, उसकी तीव्रता को इससे मापा जाता है। इसी तीव्रता से भूकंप के झटके की भयावहता का अंदाजा होता है।

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