गुजरात: फर्जी मेडिकल डिग्री घोटाले का आरोपी निकला कांग्रेस का पूर्व नेता

पुलिस ने गुरुवार को गुजराती, उसके सहयोगी बीएम रावत और दस अन्य चिकित्सकों सहित 13 लोगों को गिरफ्तार किया। पुलिस ने उनके पास से कथित तौर पर फर्जी बैचलर ऑफ इलेक्ट्रो-होम्योपैथी मेडिसिन एंड सर्जरी (बीईएमएस) की डिग्री बरामद की।

गुजरात में फर्जी मेडिकल डिग्री गिरोह के पर्दाफाश के बाद अब मामले पर सियासी रंग चढ़ने लगा है। दरअसल, गिरोह के सरगना को कांग्रेस का पूर्व नेता बताया जा रहा है। दावा है कि आरोपी फर्जी चिकित्सक पहले सूरत में कांग्रेस के चिकित्सक प्रकोष्ठ का प्रमुख था।

इस बात के सामने आने के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने शुक्रवार को कांग्रेस पर निशाना साधा। प्रदेश सरकार में गृह राज्य मंत्री हर्ष सांघवी ने सूरत में कहा कि रसेश गुजराती फर्जी चिकित्सकों को डिग्री प्रमाण पत्र देता था। कांग्रेस नेता ने पैसे लेकर कई असामाजिक तत्वों को फर्जी चिकित्सक बनाने में मदद की। वहीं, कांग्रेस की राज्य इकाई के प्रवक्ता मनीष दोशी ने कहा कि गुरुवार को गिरफ्तार किए गए रसेश गुजराती को 2021 में पद से हटा दिया गया था।

क्या है मामला?
पुलिस ने गुरुवार को गुजराती, उसके सहयोगी बीएम रावत और दस अन्य चिकित्सकों सहित 13 लोगों को गिरफ्तार किया। पुलिस ने उनके पास से कथित तौर पर फर्जी बैचलर ऑफ इलेक्ट्रो-होम्योपैथी मेडिसिन एंड सर्जरी (बीईएमएस) की डिग्री बरामद की। पुलिस ने फर्जी चिकित्सकों के क्लीनिक से एलोपैथिक और होम्योपैथिक दवाएं, इंजेक्शन, सिरप की बोतलें और प्रमाण पत्र भी जब्त किए थे।

ऐसे रची गई साजिश
पुलिस ने बताया कि मुख्य आरोपी को पता चला कि भारत में इलेक्ट्रो-होम्योपैथी के बारे में कोई नियम नहीं हैं। इसके बाद उसने उसी कोर्स में डिग्री देने के लिए एक बोर्ड बनाने की योजना बनाई। उसने पांच लोगों को काम पर रखा और उन्हें इलेक्ट्रो-होम्योपैथी में ट्रेनिंग दी। उनने तीन साल से भी कम समय में कोर्स पूरा कर लिया। इस दौरान उन्हें इलेक्ट्रो-होम्योपैथी दवाएं लिखने का प्रशिक्षण दिया गया।

BEHM का राज्य सरकार के साथ समझौता होने का दावा
पुलिस के मुताबिक, जब फर्जी डॉक्टरों को पता चला कि लोग इलेक्ट्रो होम्योपैथी को लेकर संशय में हैं तो उन्होंने अपनी योजना बदल दी और लोगों को गुजरात के आयुष मंत्रालय की ओर से जारी की गई डिग्रियां देने लगे। उन्होंने दावा किया कि उनके बनाए गए बोर्ड BEHM का राज्य सरकार के साथ समझौता है।

15 दिनों के भीतर प्रमाण पत्र भी जारी कर दिए
पुलिस ने कहा कि उन्होंने एक डिग्री के लिए 70,000 रुपये लिए और उन्हें प्रशिक्षण देने की पेशकश की। ऐसे लोगों को बताया गया कि इस प्रमाण पत्र के साथ वे बिना किसी समस्या के एलोपैथी, होम्योपैथी और आरोग्य की प्रैक्टिस कर सकते हैं। उन्होंने भुगतान करने के 15 दिनों के भीतर प्रमाण पत्र भी जारी कर दिए।

गिरोह की ओर से धमकाया जाता था
पुलिस ने बताया कि प्रमाणपत्रों की वैधता थी और डॉक्टरों को एक साल बाद 5,000 से 15,000 रुपये देकर उन्हें नवीनीकृत करना पड़ता था। पुलिस ने बताया कि जो डॉक्टर नवीनीकरण शुल्क नहीं दे पाते थे, उन्हें गिरोह की ओर से धमकाया जाता था। आरोपियों में से दो शोभित और इरफान पैसे के गबन में शामिल थे।

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