गुंडागर्दी मे हीरोगिरी की लग रही है छौंक

एक कहानी में पहले हीरो का किरदार अलग और विलेन का किरदार अलग होता था. कभी कभी हीरो विलेन भी बन जाता. अब हाल की कुछ फिल्मों वो फ़ैशन फिर से लौटा है जब नायक ही खलनायक है. आजकल के हीरो को अब फ़िल्म के आख़िर में ग़लत काम करके मरने से या हारने से परहेज़ नहीं. फ़िल्म के ‘दी एंड’ मे उसका भी ‘दी एंड’ हो सकता है .गुंडागर्दी मे हीरोगिरी की लग रही है छौंक

जब गुंडे बने हीरो

अब बहुत सी ऐसी फ़िल्में आईं जिसमे गैंगस्टर या गुंडे ही हीरो हैं. “रईस” में शाहरुख़ का किरदार ग़लत काम करता है. एंटी-हीरो के किरदार में शाहरुख़ शुरू से ही लुभाते रहे हैं, फिर चाहे वो ‘बाज़ीगर’, ‘डर’, ‘डॉन’ या फिर ‘रईस’ हो.

रईस कहानी है गुजरात के एक शराब माफ़िया रईस की जो भारत के “ड्राई स्टेट” गुजरात में अपना साम्राज्य बनाता है और शराब के इस खेल का सबसे बड़ा व्यापारी बन जाता है. लेकिन एक गलती से रईस ऐसी मुसीबत में फंस जाता है जो उसकी जान ले लेती है. ‘नो प्रॉब्लम’.

2017 की आने वाली फिल्म ‘2.0’ मे हीरो हैं रजनीकांत और विलेन हैं अक्षय कुमार . इसी साल आएगी फिल्म ‘आँखें 2’ जिसमें हैं अमिताभ बच्चन और अनिल कपूर.

2002 की फ़िल्म ‘आँखें’ में अमिताभ बच्चन के किरदार ने सुष्मिता सेन और अक्षय कुमार के किरदारों का जीना मुश्किल कर दिया था और उनसे चोरी करवाई.गुंडागर्दी मे हीरोगिरी की लग रही है छौंक

मजबूरी का चोगा नहीं

फ़िल्म ‘धूम 3’ में आमिर ख़ान का डबल रोल था और वो दोनो सर्कस में काम करते हैं . ये दोनो बड़ी बड़ी चोरी करने में माहिर हैं लेकिन फ़िल्म के आख़िर में दोनों एक बड़ी सी नदी में गिरते दिखाई देते हैं . ‘धूम’ सीरीज़ की पहली फ़िल्म में जॉन अब्राहम का किरदार जान दे देता है पर चोरी नहीं छोड़ता.

‘वन्स अपॉन अ टाइम इन मुंबई’ में अजय देवगन का किरदार एक गैंगस्टर का था जो अपनी जान से हाथ दो बैठता है . ‘वन्स अपॉन अ टाइम इन मुंबई- 2’में अक्षय कुमार थे ‘बैड मैन’.

‘शूटआउट ऐट लोखंडवाला’ में तो जॉन अब्राहम का किरदार भी अपनी जान गंवा बैठता हैं. फ़िल्म ‘खाकी’ में अजय देवगन और ऐश्वर्या विलेन बने . ये सारे किरदार किसी मजबूरी या दबाव मे ग़लत काम नही करते, शौक से करते हैं .

सैफ अली ख़ान का फ़िल्म ‘ओमकारा’ मे लंगड़ा त्यागी का किरदार बहुत यादगार है और फ़िल्म ‘एक विलेन’ में रितेश देशमुख का किरदार ज़बरदस्त था.

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लेडी डॉन

फ़िल्म ‘इश्क़िया’ और ‘भूल भुलैया’ में विद्या बालन ने हटके किरदार निभाए. फ़िल्म ‘कौन’ में उर्मिला ने खून किए अपनी दिमागी हालत की वजह से. फ़िल्म ‘गुप्त’ में काजोल ने उन सबको रास्ते से हटाया जो उनके प्यार के रास्ते में आए .

मतलब ये कि चलन बेशक फिर से फैशन में आया है लेकिन पहले भी हीरो विलेन बनने को तैयार थे . तब ये एक रिस्क माना जात था . फ़िल्म ‘डॉन’ में अमिताभ डॉन बने, राजेश खन्ना ने फ़िल्म ‘रेड रोज़’ में अभिनय किया , और अशोक कुमार देव आनंद की फ़िल्म ‘ज्वेल थीफ़’ मे विलेन बने थे .

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