सनातन परंपरा में गाय, गंगा और गायत्री का बहुत ज्यादा धार्मिक महत्व है। मान्यता है कि गोमाता के शरीर पर 33 कोटि देवी-देवताओं का वास होता है। गोमाता की सेवा एवं पूजा करने वाले जातक पर इन इन सभी देवी-देवताओं की कृपा बरसती है। गोसेवा से न सिर्फ इस जन्म के बल्कि पूर्व जन्म के दोष भी दूर हो जाते हैं।
– प्रत्येक सुबह जब आपके घर में भोजन बनना प्रारंभ हो तो सबसे पहले बनाइ गई रोटी को आप गोमाता के नाम से निकाल दें और भोजन करने से पूर्व गोमाता को खिलाएं। यदि संभव हो तो काली गाय को खिलाएं यदि काली गाय न मिले तो सफेद गाय को हो खिला दें।
– प्रत्येक पूजा और मांगलिक कार्यों में गोमाता या उनसे जुड़ी चीजों जैसे गाय का गोबर, गोमूत्र, गाय का दूध अथवा गाय के दूध से बना घी अवश्य शामिल करें।
– सनातन परंपरा के अनुसार जिस घर में गाय होती है, उस घर से जुड़े सभी वास्तुदोष स्वत: समाप्त हो जाते हैं।
– किसी भी पूजा में गौ से प्राप्त पंचगव्य युक्त पदार्थों का उपयोग अवश्य करें क्योंकि पंचगव्य के बिना कोई भी पूजा-पाठ और हवन सफल नहीं होता है।
– गोकृपा पाने के लिए प्रतिदिन, सप्ताह अथवा महीने में परिवार समेत एक बार गोशाला जाने का नियम जरूर बनाएं और उसे हरा चारा खिलाएं।
– गोसेवा और गोपूजा से नौ ग्रह शांत हो जाते हैं और उनसे जुड़े दोषों का निदान हो जाता है।
– गर्मियों में गौ माता को पानी पिलाएं और सर्दियों में गौ माता को गुड़ खिलाएं। ध्यान रहे कि गर्मियों में गाय को गुड़ न खिलाएं।
-अनेक देवी-देवताओं को अपने शरीर पर धारण करने वाली गोमाता से जुड़े कई शुभ और अशुभ संकेत भी होते हैं। मसलन, गाय का दूध दुहते समय यदि गाय ठोकर मार दे और सारा दूध बिखर जाए तो अपशकुन होता है।
– यदि कोई यात्रा पर निकल रहा हो और गाय अपने बछड़े को दूध पिलाते सामने आ जाए तो निश्चित रूप से यात्रा सफल और काम संपूर्ण होता है। यात्रा पर जाते समय बाईं ओर गाय की आवाज आना और रात्रि में गाय की हुंकार करना भी शुभ होता है।