गलियों से कान्वेंट स्कूल और हास्टल तक पहुंचा बम

देसी बमों के धमाकों की बदनामी ने अब तक प्रयागराज का पीछा नहीं छोड़ा है। गली-गली में बम बनाने की कहानी अभी भी यहां से जुड़ी है। बमबाजी का 25 साल पुराना सफर अभी थमा नहीं है। हर तीसरे दिन बमबाजी कर गांव और शहर में सनसनी फैलाने की घटनाएं हो रही हैं। पुराने क्रिमिनलों का दौर तो खत्म हुआ, लेकिन बमों से प्रयागराज का नाता नहीं टूट सका। ऐसे में सबसे अहम सवाल कि बम बनाने के लिए बारूद आता कहां से है? पुलिस और प्रशासन इस पर मौन है।  बारूद की बिक्री पर रोक लगाने में अफसर पूरी तरफ फेल रहे। चोरी छिपे बारूद की खेप सप्लाई होती रही और देसी बमों से धमाके होते रहे।

प्रयागराज में होने वाली हर बड़ी वारदात में बम का इस्तेमाल जरूर ही होता है। बमबाजी की घटनाएं प्रयागराज पर ही बदनुमा दाग नहीं लगा रहीं बल्कि पुलिस और प्रशासन को बारूद के इस खेल में भागीदार बना रही हैं। बम बनाने के लिए मेंसर, पोटास और गंधक की सप्लाई कहां से हो रही इस पर गौर नहीं किया जा रहा है। पुराने शहर के कई पंसारी, आतिशबाज और पटाखा दुकानदारों के यहां से मौत के इस सामान को आसानी से खरीदा जा सकता है। पुराने हवाईदार बताते हैं कि प्रयागराज में मेंसर, पोटास  की सप्लाई कानपुर, आगरा, बाराबंकी, वाराणसी आदि जिलों से होती है। पत्थर तोडऩे के नाम पर लिया जाने वाला बारूद देसी बमों के इस्तेमाल में लाया जाता रहा है। यमुनापार से बारूद की सप्लाई बम बनाने वाले गिरोह तक होती है। बम का मसाला बेचने में पुराना शहर कुख्यात रहा है। चौक, लोकनाथ, नखासकोहना, बक्शीबाजार, बैदनटोला, अटाला, सब्जीमंडी, हम्मान गली, दरियाबाद, मुट्ठीगंज, दारागंज, धूमनगंज, बहादुरगंज आदि इलाकों में पुराने पंसारी चोरी छिपे पोटास और मेंसर देते हैं। हवाईदार भी पटाखे निर्मित करने के साथ ही मेंसर और पोटास  की सप्लाई कर अच्छी रकम कमा लेते हैं। मऊआइमा क्षेत्र में ही 36 हवाईदारों के पास लाइसेंस थे। हालांकि अब सभी के लाइसेंस निरस्त हो गए लेकिन उन्हें पता है कि बारूद कहां से मिल सकता है।

बमबाज मांगते हैं सफेदा

बम बनाने, धमाका करने वाले पोटास को सफेदा कहते हैं। बारूद के बिक्रेता सफेदा मांगने पर पोटास दे देते हैं। बमबाजों की जुबान में मेंसर को लाल पाउडर कहते हैं।

पुरानी गलियों से स्कूलों, हॉस्टल तक पहुंचा बम

बमबाजी पहले पुराने शहर की गलियों में होती थी। अब हाल यह है कि कान्वेंट स्कूलों और हॉस्टलों में देसी बम बरामद होने लगे हैं। यहां बम चलाने और बनाने वाले पकड़े जा रहे हैं।

एडीजी एसएन साबत का कहना है कि प्रयागराज समेत कई जिलों में पहले भी आतिशबाजों, पटाखा कारोबारियों के यहां पुलिस और प्रशासन की संयुक्त टीम से जांच कराई गई थी। उसी जांच टीम को फिर से लगाया जाएगा। सभी थानों को निर्देश दिया जाएगा कि वह अपने क्षेत्रों के हवाईदारों की निगरानी करें। बम के साथ जो युवक पकड़े जा रहे हैं पुलिस उसने पूछताछ करे कि बम आया कहां से, बनाया किसने। इसी प्रकार की कार्रवाई से बमबाजी की घटनाओं पर रोक लग सकती है।

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