गणतंत्र दिवस को लेकर गुरु गोबिंद सिंह स्टेडियम में तैयारियां जोरों से चल रही हैं। कार्यक्रम को हर तरह से सुरक्षित बनाने के लिए पुलिस ने स्टेडियम को सील कर दिया है। इसी बीच शहरी पुलिस के एक डीएसपी रैंक एसीपी धर्मपाल अपने गार्ड के साथ देर रात को स्टेडियम पहुंचे। स्टेडियम के गेट पर तैनात कांस्टेबल ने उनको रोक लिया और उनसे कोड मांगा।
डीएसपी साहब बोले कोड तो याद नहीं। कांस्टेबल ने कहा कोड दें, तभी एंट्री होगी। फिर क्या था डीएसपी साहब कोड नहीं बता पाए और कांस्टेबल ने उन्हें एंट्री भी नहीं करवाई। मौके पर खड़े अन्य मुलाजिम हैरान थे कि एक कांस्टेबल ने कैसे डीएसपी को रोक दिया। इस दौरान मुलाजिमों में काफी मजाक भी चला कि जम्मू कश्मीर से डीएसपी रैंक का अधिकारी आतंकवादियों के साथ पकड़े जाने के बाद ‘हुण न किहे डीएसपी ते करना यकीन।’
– बड़े साहब पीपीएस और छोटे आइपीएस
एक सप्ताह पहले देहात पुलिस ने जाली भारतीय करंसी छापने वाले दो युवकों के गिरफ्तार किया था। पुलिस ने इनके पास से करीब 66 हजार रुपये की जाली भारतीय करंसी बरामद की थी। एसपी देहात हेडक्वार्टर रविंदरपाल सिंह की अगुआई में इस संबंध में प्रेस वार्ता हो रही थी।
सबडिवीजन आदमपुर के एएसपी आइपीसी अंकुर गुप्ता भी मौजूद थे। एसपी साहिब पकड़े गए आरोपितों के बारे में बता रहे थे कि एक पत्रकार ने उनसे नकली मुद्रा की पेपर की गुणवत्ता पर सवाल कर दिया और साथ ही पूछा कि किस कारण से यह नोट नकली हैं। एसपी साहिब ने ऐसे रिएक्शन दिया जैसे कि उनसे रॉकेट साइंस के बारे में पूछ लिया हो। इसके बाद उनसे छोटे अधिकारी यानी एएसपी अंकुर गुप्ता ने इस बात का जवाब दिया और पत्रकार को संतुष्ट किया।
– पुलिस दी यारी वी माड़ी, ते दुश्मनी वी
हाल ही में सीआइए स्टाफ ने शराब तस्कर सोनू जो कांग्रेसी नेता का करीबी होने के साथ खुद को पुलिस कमिश्नर गुरप्रीत सिंह भुल्लर का खास बताता था को गिरफ्तार किया। यह वही तस्कर है जिसके घर से पिछले साल पुलिस ने दो युवकों को अवैध हथियारों सहित गिरफ्तार किया लेकिन पुलिस ने उक्त मामले में उसे शामिल करना जरूरी नहीं समझा।
इस बात के बाद से अमन नगर निवासी तस्कर सोनू खुद को इतना सुरक्षित समझने लगा कि उससे कोई पत्रकार उसके अवैध शराब धंधे के बार में सवाल भी करता था तो वह यही जवाब देता कि पुलिस कमिश्नर साहिब से बात कर ले। वह अपने आप को पुलिस कमिश्नर का कुछ ज्यादा ही करीबी समझने लगा था, लेकिन उसकी यह सिर्फ गलतफहमी थी। वह सिर्फ पुलिस का एक टोट था, जिसे पुलिस ने अपनी जरूरत के हिसाब से इस्तेमाल किया और फिर मौका मिलते ही शराब तस्करी के केस में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया।
– साहब को जुए के अड्डों में पहुंचने का है शौक..
हर पुलिस अधिकारी को किसी न किसी क्राइम के मामलों को हल करने की दिलचस्पी होती है। ऐसे ही शहरी पुलिस के एसीपी सेंट्रल हरसिमरत सिंह है जिन्हें जुआरियों के झगड़ों के मामलों के हल करने में दिलचस्पी है। उनके ऐरिया में कभी कोई ऐसा मामला आता है जहां जुए के अड्डों में मारपीट या इस तरह की कोई चीज हो तो वह अपने एसएचओ से भी पहले मौके पर पहुंचते हैं। थाना चार, थाना तीन, थाना छह के क्षेत्र में जुए के अड्डों में मारपीट के मामलों में भी वह मौके पर देखे गए थे।
कई मामले तो उनके क्षेत्र में भी नहीं थे, लेकिन फिर भी वह वहां पहुंचे थे। बुधवार देर रात को भी ऐसा ही मामला सामने आया। लाल बाजार में जुआ खेल रहे दो पक्षों के बीच में खूनी झड़प हुई। सूचना मिलते ही वह तुरंत अपने एसएचओ से पहले मौके पर पहुंच गए।