गणतंत्र दिवस के मौके पर 95 वर्षीय स्वतंत्रता सेनानी ने बयां की आजादी की दास्तां

26 जनवरी को देश 71वां गणतंत्र दिवस (71st Republic Day) मनाएगा. इस मौके पर हम आपको 95 वर्षीय स्वतंत्रता सेनानी से मिलवा रहे हैं. महाराष्ट्र के वर्धा में रहने वाली स्वतंत्रता सेनानी सुमन बंग ने ज़ी मीडिया से बातचीत के दौरान आजादी के आंदोलन की यादें ताजा कीं. 95 वर्ष की उम्र में सुमन बंग काफी कुछ भूल चुकी हैं. लेकिन अभी भी देश की स्वतंत्रता के लिए लड़ी गई लड़ाई से जुड़ी कुछ बातें उनकी जहन में ताजा हैं.

सुमन बंग बताती हैं कि 1947 में जब देश को ब्रिटिश राज से आजादी मिलिली उस समय मैं बहुत छोटी थी. उस समय हर किसी ने देश की तरक्की के सपने देखे. उन्होंने आज की राजनीति पर कटाक्ष करते हुए कहा कि आज के समय में राजनेता एक भूखे इंसान की तरह है. जिस तरह से खाना देखकर भूखा उसपर टूट पड़ता है. ठीक उसी तरह आज कल के नेताओं की सत्ता की भूख है जिसे पाने के लिए वो किसी भी हद तक जा सकता है. उन्होंने कहा कि देश को आजादी मिली नहीं थी बल्कि हम उसके लिए लड़े थे. लेकिन देश को आजादी मिलने के बाद सबकुछ बदल गया. देश में स्वार्थ की पॉलिटिक्स हुई.

पति को याद कर हुईं भावुक
आजादी के आंदोलन की बातें करते हुए सुमन बंग ने बताया कि मेरे पति ठाकुरदास बंग देश की आजादी के लिए लड़े. पुलिस की मार खाई, जेल गए. उन्होंने कहा कि आजादी के बाद देश से जैसी अपेक्षा थी वो पूरी नहीं हुई. पॉलिटिक्स ने सबकुछ बिगाड़ दिया.

किसानों के लिए बने पॉलिसी 
उन्होंने कहा कि सरकार को किसानों के हित के लिए योजना लानी चाहिए. किसानों के लिए आर्थिक पॉलिसी में बदलाव करने की जरूरत है. किसानों का हर जगह शोषण किया जाता है. जिसके कारण वो ऊपर नहीं उठ पाते. किसानों के अनुकूल आर्थिक पॉलिसी बननी चाहिए. देश का किसान खुशहाल होगा तो देश तरक्की करेगा.

महात्मा गांधी का अहिंसा आंदोलन
95 वर्षीय स्वतंत्रता सेनानी बताती हैं कि गांधी जी से पहले दुनिया में बिना शस्त्र की लड़ाई नहीं हुई. गांधी जी ने ही देश को बताया कि बिना शस्त्र से भी लड़ाई लड़ी और जीती जा सकती है.

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