'गणतंत्र दिवस' के पहले अचानक सुर्खियों में आईं सादिया, अब बयां की दर्दनाक आपबीती

‘गणतंत्र दिवस’ के पहले अचानक सुर्खियों में आईं सादिया, अब बयां की दर्दनाक आपबीती

वो अब पढ़ना चाहती है। पुणे की सादिया शेख  गणतंत्र दिवस के पहले अचानक सुर्खियों में आ गईं थीं।18 साल की सादिया को कश्मीर में  फिदायीन हमला करने शक में गिरफ्तार किया गया था। सादिया पिछले दिनों मीडिया के सामने आईं और कहा कि वो अब जिंदगी में पीछे मुड़कर नहीं देखना चाहती हैं बस आगे पढ़ना चाहती हैं। 'गणतंत्र दिवस' के पहले अचानक सुर्खियों में आईं सादिया, अब बयां की दर्दनाक आपबीतीजम्मू कश्मीर पुलिस ने इंटेलिजेंस से इनपुट मिलने के बाद सादिया को उसके एक साथी के साथ गिरफ्तार किया था। उसे घाटी से गणतंत्र दिवस की परेड से पहले गिरफ्तार किया गया था बाद में उसे सबूतों के अभाव में छोड़ दिया गया था। 

सादिया ने अपने बारे में खुद मीडिया के सामने आकर सामने सारी जानकारी दी। उसने बताया कि वो नर्सिंग कॉलेज में एडमिशन कराने के लिए जम्मू-कश्मीर गई थीं। वह बताती हैं कि जब मैं जम्मू कश्मीर गई तो वहां एक रिपोर्ट चल रही थी कि पुणे की एक लड़की है जो फिदायीन हमले में शामिल हो सकती है। इस रिपोर्ट के बाद पुणे पुलिस ने मेरे परिवार वालों से संपर्क किया और कहा कि या तो मैं पुणे वापस आ जाऊं या फिर वीडियो कॉल के द्वारा पुलिस से बात करूं। 

26 जनवरी के आसपास इंटरनेट सर्विस बंद कर दी जाती है

लेकिन जैसा की आप जानते हैं कि जम्मू कश्मीर में 26 जनवरी के आसपास इंटरनेट सर्विस बंद कर दी जाती है वहां सारी सर्विस बंद थी। मैं पुलिसे से बात नहीं कर पाई। मैंने कॉलेज के प्रिंसिपल से बात करने की कोशिश की जहां मैं एडमिशन लेना चाहती थी। लेकिन मेरा संपर्क उनसे भी नहीं हो सका। फिर मुझे समझ नहीं आया कि क्या करना है। मैं टैक्सी लेकर श्रीनगर चल दी, रास्ते में अवंतीपोरा चेकपोस्ट पर मुझे रोका गया और मुझसे कुछ सवाल पूछा गया। 

सादिया ने प्रेस कांफ्रेस कर कई खुलासे किए। सादिया ने कहा कि मैंने पूछताछ के दौरान पुलिस वालों को अपना परिचय दिया कि मैं सादिया हूं और पुणे की रहने वाली हूं। उन्होंने मेरी और मेरे बैग को चेक किया। जब उन्हें मेरे बैग में कुछ नहीं मिला तो वो लोग मुझे पुलिस स्टेशन ले गए। उन्होंने मेरा मोबाइल फोन भी ले लिया और मुझसे फोन को खोलने के लिए पासवर्ड भी पूछा और जांच शुरू कर दी। फिर मुझे महिला पुलिस स्टेशन ले गए जहां कई एजेंसी के लोग आए और मुझसे पूछताछ की।

मैंने उन्हें अपने एडमिशन की बात बताई। लेकिन जब उन्हें कुछ नहीं मिला तब उन्होंने मुझे छोड़ दिया और जाने दिया। बात चीत के दौरान सादिया ने कहा कि पिछले दिनों मेरे साथ जो भी कुछ हुआ है मैं उसे याद नहीं करना चाहती बल्कि मैं बस पढ़ना चाहती हूं। 

सादिया ने बताया कि दिसंबर 2015 में पुणे के कुछ युवा फेसबुक के जरिए आईएस की आइडियोलोजी से प्रभावित हुए थे। पुणे स्थित महाराष्ट्र  एंटी टेरेरिस्ट स्काव्यड (ATS) ने तभी सादिया की पहचान की थी। उस समय सादिया 16 साल की थी। उस समय सादिया सीरिया जाने के लिए मानसिक रूप से तैयार हो गई थीं तब एटीएस ने उसकी काउंसिलिंग की थी। सादिया ने स्वीकार किया कि वह प्रभावित हुई थी लेकिन तब मैं 12वीं की छात्रा थी।  

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