संघ प्रमुख मोहन भागवत ने गंगा के निर्मली करण के लिए भगीरथ जैसे प्रयास करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि यह लंबा काम है। गंगा के निर्मली करण के लिए समाज के लोगों को जगाना होगा। अगर समाज जाग गया तो समझो आधा काम हो गया। प्रयागराज में विश्व हिंदू परिषद के माघ मेला स्थित शिविर में गंगा समग्र कार्यकर्ता संगम मैं मुख्य वक्ता के रूप में शामिल मोहन भागवत ने कहा कि गंगा किनारे सभी गांवों में आरती शुरू होनी चाहिए। अगर आरती शुरू होगी तो लोगों के अंदर भक्ति भावना आएगी ।
भक्ति भावना आने से आदमी अपने आसपास का वातावरण स्वच्छ रखेगा। अगर ऐसा हुआ तो गंगा निर्मली करण में काफी हद तक सफलता प्राप्त होगी। इसके लिए हमें भगीरथ जैसा प्रयास करना होगा वह भी धैर्य पूर्वक होकर। संघ प्रमुख ने कहा कि ऐसा करने में अगर हम सफल होते हैं तो निश्चित ही हमें सफलता मिलेगी ऐसा मेरा विश्वास है। उन्होंने गंगा निर्मली करण के काम को अयोध्या में बन रहे राम मंदिर से भी जोड़ा।
संघ प्रमुख ने कहा कि पहले हम यह नहीं बता सकते थे कि राम मंदिर कब और कैसे बनेगा लेकिन हम लगे रहे और सफलता मिली इसी तर्ज पर गंगा के निर्मली करण के लिए हमें लगातार लगे रहना होगा । अपने 45 मिनट के उद्बोधन में संघ प्रमुख ने गंगा की महत्ता पर विस्तार से चर्चा की कहा कि गंगा भारत के जीवन की संस्कृति रेखा भी है।
गंगा समग्र द्वारा किए जा रहे कार्यों की भी उन्होंने सराहना की हालांकि उन्होंने कहा अभी भी बहुत कुछ करने की आवश्यकता है। उन्होंने जोर देकर कहा कि हमें गंगाधर मणिकरण के लिए ज्यादा समय निकालना होगा। लोगों को भी सजा करने की बात उन्होंने कही। प्रमुख ने कहा कि इस कार्य में बाधा आएगी लेकिन हमें आगे बढ़ते जाना है हमें अपने अंदर के भगवान को जगाने की आवश्यकता है।
अखिल भारतीय स्तर पर प्रशिक्षण का कार्यक्रम करने की बात भी संघ प्रमुख ने कही उन्होंने कहा कि गंगा से जुड़े क्षेत्र में रहने वाले लोगों से हमें संपर्क करना चाहिए। अखिल भारतीय स्तर के कार्यक्रम में सभी प्रांत के पदाधिकारियों को बुलाया जाए प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले सभी पदाधिकारी बाद में अपने अपने क्षेत्र में जाकर लोगों को और गंगा समग्र से जुड़े लोगों को प्रशिक्षण दे ताकि गंगा के निर्मलीकरण में तेजी आए।