खुशखबरी प्रवासी मजदूरों को उनके गृह राज्य में ही रोजगार देगी मोदी सरकार

कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप और लॉकडाउन के मद्देनजर देशभर के अधिकतर मजदूर अपने गृह राज्य पहुंच चुके हैं। अब इन प्रवासियों के सामने रोजगार का संकट आ खड़ा हुआ है, जिसे देखते हुए सरकार ने मास्टर प्लान तैयार कर लिया है।

उपयोगिता और योग्यता के आधार पर इन प्रवासी मजदूरों को उनके गृह राज्य में ही रोजगार दिलवाया जाएगा, जिससे इनका घर भी चल सके और सरकार भी अपने तय लक्ष्य की ओर बढ़ सके।

सरकार के पास लगभग 70 हजार किलोमीटर की ग्रामीण सड़कों के निर्माण और गरीबों के लिए 50 लाख आवास की कार्य योजना है। एक अधिकारी ने बताया कि ग्रामीण विकास मंत्रालय ने राज्यों को बड़ी संख्या में श्रमिकों को काम देने की बात कही है।

प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तीसरे चरण के तहत, लगभग 14 हजार किलोमीटर नई सड़कों का निर्माण किया जाना बाकी है, जबकि पिछले वर्ष का भी काम लंबित है।

अलग-अलग राज्यों में वापस लौटे कुल श्रमिकों की दो तिहाई से अधिक आबादी निर्माण कार्यों से जुड़े हैं। अतिरिक्त कार्यबल की उपलब्धता से सरकार को सड़कों के निर्माण के अपने वार्षिक लक्ष्य और प्रधानमंत्री आवास योजना को समय से पूरा करने में मदद मिलेगी।

एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि मकान बनाने के लिए पहले से ही बजट का प्रावधान किया गया था। उन्होंने कहा कि निर्माण श्रमिकों को प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई) के तहत मकान बनाने के लिए 90-95 दिन की मजदूरी मिल सकती है।

ग्रामीण सड़क योजना के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, स्वीकृत 174,000 सड़क कार्यों में से 157,000 पूरे हो चुके हैं।

इसी तरह, पीएमएवाई में भी इस वित्तीय वर्ष में 61 लाख 50 हजार घरों का लक्ष्य निर्धारित किया गया था। अब तक लगभग दो लाख घरों को मंजूरी दी गई है।

मंत्रालय के पास उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, अब तक एक भी घर पूरा नहीं हुआ है। विशेषज्ञों ने बताया कि लॉकडाउन और कोरोना वायरस की वजह से देरी हुई।

ग्रामीण भारत के विकास के लिए यह दोनों ही योजनाएं बेहद अहम हैं। जहां प्रधानमंत्री आवास योजना से समाज के आखिरी आदमी को भी अपना घर मिलेगा तो सड़कों का जाल देशभर में परिवहन को तो सुगम बनाएगा ही साथ ही अप्रत्यक्ष रूप से किसानों को भी मदद करेगा। इन दो योजनाओं के अलावा सरकार उज्ज्वला योजना पर भी पूरा ध्यान लगा रही है।

एक रिपोर्ट के मुताबिक देश के कुल प्रवासी मजदूरों में करीब 90 फीसदी उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, ओडिशा और पश्चिम बंगाल से हैं। चूंकि बड़े पैमाने पर ये श्रमिक अपने राज्यों में वापस लौट गए हैं, ऐसे में उन राज्यों के लिए अधिकाधिक रोजगार उत्पन्न कर पाना कठिन है।

इसलिए बागवानी, पशुपालन जैसे क्षेत्रों को भी बढ़ावा दिया जाएगा। प्रधानमंत्री कार्यालय में जिलास्तर पर योजनाएं बन रहीं हैं। श्रमिकों को उनकी योग्यता के आधार पर पहचाना जाएगा और विभिन्न मंत्रालयों के अधीन नई योजनाएं शुरू कर रोजगार के नए अवसर निर्मित किए जाएंगे।

 

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com