गुरुवार की शाम करीब साढ़े सात बजे मोबाइल की घंटी बजी और बबिता के हाथ से खाने की थाली छूट गई। वह दहाड़ मारकर रोने लगी। रूबी और टुन्नी बार-बार पूछ रही थी – मां क्या हुआ? बूढ़े सास-ससुर को अनहोनी की आशंका थी। महेंद्र सिंह ने मोबाइल कान में लगाया, फिर रोते हुए घर वालों को मनहूस खबर सुनाई कि बेटे संजय कुमार सिन्हा जम्मू-कश्मीर में फिदायीन हमले में शहीद हो गए। घर में रुदन-क्रंदन सुनकर पड़ोसी दौड़ पड़े। बार-बार पत्नी बबिता कह रही थी -‘बोल गए थे 15 दिन बाद वापस आएंगे तो बेटी रूबी की शादी तय कर देंगे। खुद तो आ नहीं पाए…मौत की खबर आ गई।
आठ फरवरी को गए थे वापस
मसौढ़ी के तारेगना मठ मोहल्ला निवासी संजय कुमार सिन्हा (45) केंद्रीय रिजर्व पुलिस के 176 बटालियन में हवलदार थे। एक माह की छुट्टी के बाद आठ फरवरी को ड्यूटी के लिए रवाना हुए थे। कैंप भी नहीं पहुंचे थे कि रास्ते में आतंकी हमले में शहीद हो गए। घर से जाते वक्त उन्होंने पत्नी से कहा था कि 15 दिन बाद छुट्टी लेकर वे आ जाएंगे।
कोटा में पढ़ता है इकलौता बेटा
घर वालों से संजय ने कहा था कि इस बार छुट्टी में वे बड़ी बेटी रूबी की शादी की बात पक्की कर ही ड्यूटी पर लौटेंगे। छोटी बेटी टुन्नी कुमारी ने भी स्नातक की पढ़ाई पूरी कर ली है। बेटा सोनू (17) राजस्थान के कोटा में रहकर मेडिकल परीक्षा की तैयारी करता है। संजय के छोटे भाई शंकर सिंह भी सीआरपीएफ में हैं। वह नालंदा में पदस्थापित हैं, लेकिन उनका परिवार मसौढ़ी कोर्ट के पास नए मकान में रहता है। संजय के परिवार के साथ ही उनके माता-पिता रहते हैं।
गांव में मातम
संजय के फुफेरे भाई चंदन भी तारेगना मठ मोहल्ले में ही रहते हैं। बताया कि संजय मिलनसार थे। सबकी मदद के लिए खड़े रहते थे। उनकी मौत की खबर मिलने के बाद गांव में किसी ने खाना नहीं खाया। संजय के बहनोई व नालंदा जिले के परवलपुर निवासी जितेंद्र कुमार को भी घटना की जानकारी हो गई थी।