क्‍या है धारा 370? जानिए इसके बारे में सबकुछ

केंद्र सरकार ने आज राष्‍ट्रपति के आदेश से जम्‍मू-कश्‍मीर राज्‍य का विशेष दर्जा छीनते हुए धारा 370 को हटा दिया है.गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने आज राज्‍यसभा में जम्‍मू-कश्‍मीर (Jammu and Kashmir) पर बड़ा बयान देते हुए राज्‍य से धारा 370 हटाने (Article 370 ) का ऐलान किया. इसी के साथ उन्होंने कहा कि धारा 370 के कई खंड लागू नहीं होंगे. सिर्फ खंड एक बचा रहेगा. उन्होंने यह भी कहा कि जम्मू-कश्मीर अलग केंद्र शासित प्रदेश बनेगा और लद्दाख को अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाया जाएगा.

 अमित शाह ने जैसे ही इस बात का ऐलान किया राज्‍यसभा में हंगामा मच गया. इस बड़े ऐलान से पहले जम्‍मू-कश्‍मीर की सड़कों पर पूरी तरह से सन्नाटा पसरा हुआ है. धारा 144 लागू कर दी गई है और इंटरनेट मोबाइल सेवाएं बंद कर दी गई हैं. कुछ अधिकारियों को सैटेलाइट फोन दिए गए हैं ताकि केंद्र सरकार को सूचना मिलती रहे. इससे पहले वहां 35 हजार अतिरिक्त सुरक्षाबलों की तैनाती की जा चुकी है. साथ ही अमरनाथ यात्रा को बीच में ही रद्द कर दिया गया था.

अब सवाल यह उठता है कि आखिर धारा 370 है क्‍या और इसके हटाने के क्‍या मायने है? धारा 370 के प्रावधानों के अनुसार, संसद को जम्मू-कश्मीर के बारे में रक्षा, विदेश मामले और संचार के विषय में कानून बनाने का अधिकार है लेकिन किसी अन्य विषय से सम्बन्धित कानून को लागू करवाने के लिए केन्द्र को राज्य सरकार का अनुमोदन चाहिए. इसे आप इस तरह समझ सकते हैं:
– इसी विशेष दर्जे के कारण जम्मू-कश्मीर राज्य पर संविधान की धारा 356 लागू नहीं होती.
– इस कारण राष्ट्रपति के पास राज्य के संविधान को बर्खास्‍त करने का अधिकार नहीं है.
– जम्मू-कश्मीर के नागरिकों के पास दोहरी नागरिकता (भारत और कश्मीर) होती है.
– भारत की संसद जम्मू-कश्मीर के सम्बन्ध में अत्यन्त सीमित क्षेत्र में कानून बना सकती है.
– जम्मू-कश्मीर का राष्ट्रध्वज अलग है. वहां के नागरिकों द्वारा भारत के राष्ट्रीय ध्वज का सम्मान करना अनिवार्य नहीं है.
– इसके तहत भारतीय नागरिक को विशेष अधिकार प्राप्त राज्यों के अलावा भारत में कहीं भी भूमि खरीदने का अधिकार है. यानी भारत के दूसरे राज्यों के लोग जम्मू-कश्मीर में जमीन नहीं खरीद सकते.
– भारतीय संविधान की धारा 360 जिसके अन्तर्गत देश में वित्तीय आपातकाल लगाने का प्रावधान है, वह भी जम्मू-कश्मीर पर लागू नहीं होती.
– जम्मू-कश्मीर की विधानसभा का कार्यकाल 6 वर्षों का होता है जबकि भारत के अन्य राज्यों की विधानसभाओं का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है.
– भारत के उच्चतम न्यायालय के आदेश जम्मू-कश्मीर के अन्दर मान्य नहीं होते हैं.
– जम्मू-कश्मीर की कोई महिला अगर भारत के किसी अन्य राज्य के व्यक्ति से विवाह कर ले तो उस महिला की नागरिकता समाप्त हो जाएगी. इसके विपरीत अगर वह पकिस्तान के किसी व्यक्ति से विवाह कर ले तो उसे भी जम्मू-कश्मीर की नागरिकता मिल जाएगी.
– धारा 370 की वजह से कश्मीर में आरटीआई और सीएजी (CAG) जैसे कानून लागू नहीं होते हैं.
– कश्मीर में महिलाओं पर शरियत कानून लागू है.
– कश्मीर में पंचायत को अधिकार प्राप्त नहीं है.
– धारा 370 की वजह से ही कश्मीर में रहने वाले पाकिस्तानियों को भी भारतीय नागरिकता मिल जाती है.

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