हाल की विदेश यात्राओं में पीएम मोदी के नए तरह के पहनावे को देखकर कई लोग चकित रहे गए. मेरी आंखों को तो विश्वास ही नहीं हो रहा था. तस्वीर में पहली नजर में देखने पर तो यह कुर्ता-पायजामा लग रहा था, लेकिन जब मैंने बारीकी से देखा तो पता चला कि एक यह अलग तरह का सूट है. बिना सिलवटों वाला इस तरह का सूट पाकिस्तान में बिकता है, तो क्या पीएम ने पाकिस्तानी सूट पहना था? इसे लेकर चर्चा गर्म है.
मैं हाल में पाकिस्तान की यात्रा से लौटा था, इसलिए मुझे ऐसा लगा कि पीएम मोदी पाकिस्तानी/अफगानी सलवार-कमीज पहने हुए हैं. कमीज नीचे गोलाकार किनारों वाली थी. साथ ही यह दिख रहा था कि कुर्ता/कमीज में किसी तरह की सिलवट नहीं थी. दावोस से लौटने पर या मनीला पहुंचने पर पीएम मोदी को आप ऐसे सूट में प्लेन से उतरते देख सकते हैं.
दूसरी तरफ, अगर पीएम मोदी के कुर्ते-पायजामे वाली दूसरी तस्वीरों को आप देखें तो उनमें सिलवट दिखती है. ऐसी ही एक तस्वीर को अमेरिका की टाइम पत्रिका ने अपनी कवर पर जगह दी थी.
पाकिस्तान में खूब बिकता है यह सूट
पाकिस्तान यात्रा पर मैंने इस सिलवट रहित कपड़े से बने सलवार कमीज को बिकते देखा था. इसे वाश ‘एन’ वियर कहते हैं. वहां लोग अक्सर यह कहते मिल जाएंगे, ‘एक पीस वाशएनवियर दीजिएगा.’ इसका कपड़ा वैसे तो सिंथेटिक होता है, लेकिन यह ‘शुद्ध सूती’ कपड़े जैसा आरामदेह होता है. लेकिन शुद्ध सूती कपड़े के विपरीत इस कपड़े को प्रेस करने या स्टार्च लगाने की जरूरत नहीं होती.
गौरतलब है कि पीएम मोदी फैशन ट्रेंडसेटर बन गए हैं. उनका आंधे बांह वाला कुर्ता काफी लोकप्रिय हो गया है और नेहरू जैकेट की जगह मोदी जैकेट ने ले ली है. समय-समय उनकी पगड़ियां भी चर्चा का विषय बनती हैं. तो अब अगर वे सलवार-कमीज पहनते हैं तो यह भी एक नया ट्रेंड बन सकता है.
भारत में इस सलवार-कमीज को पठान सूट भी कहते हैं. भारत के लोगों के लिए यह उसी तरह से आकर्षित करता है जैसे कि नॉर्थ-वेस्ट फ्रंटियर प्रांत के पठान जो कि अब खैबर पख्तूनख्वा इलाका कहलाता है. भारत में मेडिकल टूरिज्म के लिए आने वाले पठान भी अक्सर ऐसे सूट पहने घूमते देखे जा सकते हैं.
किसी धर्म से नाता नहीं
आप अगर पाकिस्तान के लाहौर, कराची और इस्लामाबाद जाएं तो आपको ऐसे सलवार-कमीज पहने हर तरफ बड़ी संख्या में लोग दिख जाएंगे. ‘लाहौर: अ सेंटिमेंटल जर्नी’ किताब के लेखक प्रान नेविल्ले कहते हैं कि आजादी से पहले पश्चिमी पंजाब में हिंदू, मुस्लिम और सिख सभी लोग सामान्य तरीके से सलवार कमीज पहनते थे. वे इसके साथ ही शर्ट और पजामा या पैंट भी पहनते थे.
लेकिन पख्तून हमेशा केवल सलवार कमीज ही पहनते थे. इसलिए इस ड्रेस को पख्तूनों से जोड़कर देखा जाता है. हालांकि आजादी के बाद पाकिस्तान से आए प्रवासियों ने इसे धीरे-धीरे पहनना छोड़ दिया और भारत में इसे मुस्लिमों का पहनावा माना जाने लगा, जबकि इसे भारत के मुस्लिम ज्यादा नहीं पहनते थे.