क्या होता है गंभीर आपदा और राष्ट्रीय आपदा में अंतर, कैसे मिलती है मदद?

केरल में आई भीषण बाढ़ से पिछले 13 दिनों में 233 मौतें हो चुकी हैं. बाढ़ की विभीषिका को देखते हुए इसे राष्ट्रीय आपदाघोषित करने की मांग की जा रही है.

हालांकि, केंद्रीय मंत्री अल्फोंस कन्ननथानम ने कहा है कि आपदा प्रबंधन कानून 2005 में किसी आपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने का प्रावधान नहीं है. आइए जानते हैं कि राष्ट्रीय आपदा और गंभीर आपदा में क्या अंतर होता है.

आपदा की परिभाषा

आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के मुताबिक ‘आपदा’ का मतलब होता है किसी भी इलाके में प्राकृतिक या मानवजनित कारणों से, या दुर्घटना या उपेक्षा की वजह से आई ऐसी कोई महाविपत्ति, अनिष्ट, तबाही आदि जिससे मानव जीवन की भारी हानि या संपत्ति को भारी नुकसान और विनाश, या पर्यावरण को भारी क्षति पहुंचे और यह इतने बड़े पैमाने पर हो कि जिससे स्थानीय समुदाय के लिए निपटना संभव न हो.

प्राकृतिक और मानव जनित आपदा

भूकंप, बाढ़, भूस्खलन, चक्रवात, सुनामी, शहरी इलाकों में बाढ़, लू आदि को ‘प्राकृतिक आपदा’ माना जाता है, जबकि न्यूक्लियर, बायोलॉजिकल और केमिकल आपदाओं को ‘मानव जनित आपदा’ माना जाता है.

कैसे तय होती है राष्ट्रीय आपदा

किसी भी आपदा को राष्ट्रीय आपदा मानने के बारे में कोई सरकारी या कानूनी प्रावधान नहीं है. हाल ही में संसद के मानसून सत्र में गृह राज्य मंत्री किरण रिजिजू ने कहा था, ‘स्टेट डिजास्टर रेस्पांस फंड (SDRF) या नेशनल डिजास्टर रेस्पांस फंड (NDRF) की मौजूदा गाइडलाइन इसके बारे में नहीं बताती कि किस आपदा को ‘राष्ट्रीय आपदा’ घोषित किया जाए.’

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