गृह हर प्रकार से व्यक्ति के जीवन को प्रभावित करते हैं, इसी प्रकार व्यक्ति की वाणी भी गृह के प्रभाव में होती है. जब कोई गृह व्यक्ति के वाणी भाव में अकेला विराजमान होता है, तो इसका प्रभाव उसकी वाणी पर पड़ता है. आइये जानते हैं किस प्रकार से गृह व्यक्ति की वाणी को प्रभावित करते हैं.गृहों के प्रभाव
जब व्यक्ति के वाणी भाव में सूर्य विराजमान होता है, तो यह व्यक्ति की वाणी को तेजस्वी बनाता है, इन व्यक्तियों की वाणी में आदेशात्मक भाव अधिक होते हैं, यह किसी अनुचित बात पर आक्रामक प्रतिक्रिया अपनाते हैं.
व्यक्ति के वाणी भाव में चन्द्र विराजमान होता है, तो उस व्यक्ति की वाणी में शालीनता होती है. ऐसे व्यक्ति को अधिक बोलना पसंद नहीं होता है. लेकिन जब ये किसी से बात करते हैं, तो सभी इनकी वाणी से प्रभावित हो जाते हैं.
जब मंगल व्यक्ति की वाणी भाव में विराजमान होता है, तो व्यक्ति की वाणी उग्र होती है. इन व्यक्तियों का अपनी वाणी पर संयम नहीं होता है, जो बिना सोचे कुछ भी बोल देते हैं.
जब व्यक्ति की कुंडली के वाणी भाव में बुध विराजमान होता है, तो ऐसा व्यक्ति अधिक बात करने वाला होता है. यह व्यक्ति बिना मांगें ही किसी को भी अपनी राय देने लगते हैं.
जब व्यक्ति के वाणी भाव में गुरु विराजमान होता है, तो यह व्यक्ति की वाणी में सकारात्मकता उत्पन्न करता है. ऐसे व्यक्ति अपनी किसी भी बात को विस्तार से कहना पसंद करते हैं.
जब व्यक्ति की वाणी में शुक्र ग्रह विराजमान होता है, तो यह व्यक्ति की वाणी को मधुरता प्रदान करता है. ऐसे व्यक्ति अपनी वाणी से दूसरों को आकर्षित करने में माहिर होते हैं.
जिस व्यक्ति के वाणी भाव में शनि विराजमान होता है. उस व्यक्ति की वाणी संतुलित और संयमित होती है. ऐसा व्यक्ति शब्दों का उचित उपयोग करते हैं.
जब वाणी भाव में राहु विराजमान होता है, तो ऐसे व्यक्ति की वाणी में नकारात्मकता का भाव होता है, जो व्यक्ति को बिना वजह अधिक बात करने के लिए प्रेरित करता है.
जिस व्यक्ति के वाणी भाव में केतु विराजमान होता है, तो ऐसे व्यक्ति अपनी वाणी पर संयम नहीं रख पाते हैं और बिना सोचे कुछ भी बोल देते हैं.