क्या आप जानते हैं कि योगी ने सीएम दफ्तर पर क्यों मारा था छापा? नहीं तो यह जान लीजिए कि सीएम योगी के औचक निरीक्षण के पीछे वजह निरीक्षण कतई नहीं थी बल्कि उस वजह का नाम था केशव प्रसाद मौर्या. उत्तर प्रदेश में बीजेपी की बंपर जीत के बाद योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री का सेहरा पहनाया गया. इससे उन लोगों के अरमान ठंडे पड़ गए जो खुद को भावी मुख्यमंत्री के तौर पर देख रहे थे.
बीजेपी आलाकमान के इस फैसले से सबसे ज्यादा झटका उत्तर प्रदेश बीजेपी के अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्या को लगा. मौर्या भी मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठने का ख्वाब पाले थे और उन्हें अपने मन में पूरा भरोसा था कि वही मुख्यमंत्री बनेंगे. लेकिन जब वह मुख्यमंत्री नहीं बन सके तो उन्होंने अपना अरमान मुख्यमंत्री कार्यालय पर कब्जा कर पूरा करने की कोशिश की.
सरकार में आने के पहले ही दिन केशव प्रसाद मौर्य यूपी सचिवालय एनेक्सी के पांचवें तल पर बने मुख्यमंत्री चैंबर में बैठने पहुंच गए थे. हालांकि उन्हें पुराने विधान भवन की इमारत में दफ़्तर अलॉट किया गया था.
यह थी असली वजह
ये बात जब योगी आदित्यनाथ की जानकारी में आई तो उन्होंने यूपी सचिवालय एनेक्सी का ख़ुद ही दौरा किया, इसे दफ़्तरों में होने वाला औचक निरीक्षण ही कहा गया. लेकिन इस औचक निरीक्षण की असली वजह मौर्य को ये बताया कि वे मुख्यमंत्री के लिए बने दफ़्तर का इस्तेमाल कर रहे हैं.
इस मामले में शर्मिंदा हुए मौर्य के पास कोई विकल्प नहीं बचा था, वे शांति से अपने दफ़्तर पहुंच गए. लेकिन अपनी ग़लती छुपाने के लिए उन्होंने ये कहना शुरू कर दिया कि उन्हें लगा कि मुख्यमंत्री स्थायी तौर पर नए बनाए गए लोकभवन से काम काज देखेंगे.
लोकभवन का निर्माण पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने 600 करोड़ रुपये की लागत से कराया था. वास्तविकता ये है कि योगी आदित्यनाथ ने केवल पहला दिन ही लोक भवन में बिताया. मौर्य ये नहीं बता पाए कि अपना ऑफ़िस छोड़कर वे उस ऑफ़िस को काबिज करने कैसे पहुंच गए जो 1980 से मुख्यमंत्री दफ़्तर के रूप में मशहूर रहा है.
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