कई लोगों को लगता है कि दिन में सिर्फ एक या दो सिगरेट पीना ज्यादा नुकसानदेह नहीं होता। खासतौर पर कॉरपोरेट और मीडिया इंडस्ट्री में यह आदत “कंट्रोल्ड” या “कैजुअल स्मोकिंग” के तौर पर देखी जाती है। लेकिन डॉक्टरों की मानें तो रोज दो सिगरेट भी शरीर के लिए सुरक्षित नहीं होती (Smoking Side Effects)।
फेफड़ों और दिल के विशेषज्ञ चेतावनी देते हैं कि कम मात्रा में, थोड़े समय तक की गई स्मोकिंग भी शरीर पर असर दिखाना शुरू कर देती है और वह भी बहुत जल्दी। आइए जानें कि अगर कोई व्यक्ति रोज सिर्फ दो सिगरेट पिए, तो महीने भर में उसके शरीर में क्या असर दिखाई देंगे।
निकोटीन की लत कैसे लगती है?
सिगरेट में मौजूद निकोटीन एक तेज असर करने वाला केमिकल है। यह सीधे दिमाग के “रिवॉर्ड सिस्टम” पर असर डालता है। रोज थोड़ी-सी मात्रा में भी निकोटीन मिलने से दिमाग इसकी आदत डालने लगता है। शुरुआत में क्रेविंग्स हल्की होती हैं, लेकिन धीरे-धीरे यही आदत लत का रूप ले सकती है। यानी “सिर्फ दो सिगरेट” कब जरूरत बन जाए, पता ही नहीं चलता।
दिल और ब्लड सर्कुलेशन पर असर
सबसे पहले असर दिल और ब्लड वेसल्स पर पड़ता है। निकोटीन दिल की धड़कन और ब्लड प्रेशर को अस्थायी रूप से बढ़ा देता है और नसों को सिकोड़ देता है। इससे दिल को ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है। साथ ही, स्मोकिंग से खून थोड़ा गाढ़ा और “चिपचिपा” हो जाता है, जिससे क्लॉट बनने का खतरा बढ़ता है और शरीर के अलग-अलग हिस्सों तक ऑक्सीजन सही मात्रा में नहीं पहुंच पाती।
फेफड़ों की सेहत पर असर
दो सिगरेट रोज पीने से भी फेफड़े पूरी तरह सुरक्षित नहीं रहते। सिगरेट का धुआं सांस की नलियों में सूजन पैदा करता है और ज्यादा म्यूकस बनने लगता है। एक महीने के भीतर गले में जलन, हल्की खांसी, सीने में जकड़न या चलते-फिरते जल्दी सांस फूलने जैसी शिकायतें हो सकती हैं। अक्सर लोग इन लक्षणों को मौसम या थकान समझकर नजरअंदाज कर देते हैं, जबकि यह फेफड़ों की क्षमता कम होने के संकेत होते हैं।
इम्युनिटी, स्किन और ओरल हेल्थ
सिगरेट में मौजूद जहरीले केमिकल्स शरीर में ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस बढ़ाते हैं। इससे इम्युनिटी कमजोर होती है और शरीर की रिकवर करने क्षमता कम हो जाती है। ब्लड सर्कुलेशन घटने से स्किन बेजान लग सकती है, घाव भरने में समय लग सकता है और मसूड़ों में जलन या सूजन की समस्या हो सकती है।
क्या यह नुकसान स्थायी होता है?
अच्छी बात यह है कि अगर कोई स्वस्थ व्यक्ति सिर्फ एक महीने तक रोज दो सिगरेट पीता है और फिर छोड़ देता है, तो ज्यादातर मामलों में स्थायी नुकसान नहीं होता। डॉक्टरों के मुताबिक, समय रहते स्मोकिंग छोड़ने से शरीर खुद को काफी हद तक रिकवर कर सकता है। हालांकि, सेल्युलर लेवल पर नुकसान की शुरुआत हो जाती है, खासकर फेफड़ों और ब्लड वेसल्स में। अस्थमा, हार्ट डिजीज या जेनेटिक रिस्क वाले लोगों में असर ज्यादा गंभीर हो सकता है।
‘लाइट’ सिगरेट का भ्रम
कई लोग सोचते हैं कि लाइट या लो-टार सिगरेट सुरक्षित होती है। लेकिन सच्चाई यह है कि रेगुलर सिगरेट, लाइट सिगरेट, बीड़ी या हाथ से बनी तंबाकू सभी में निकोटीन और हजारों हानिकारक केमिकल्स होते हैं। अक्सर लोग कम निकोटीन के चक्कर में ज्यादा गहराई से धुआं खींचते हैं, जिससे नुकसान बराबर या कभी-कभी ज्यादा हो जाता है।
इससे साफ है रोज दो सिगरेट भी शरीर के लिए हानिकारक है। असली खतरा इस बात में है कि दिमाग निकोटीन की आदत कितनी जल्दी डाल लेता है। छोटी-सी शुरुआत कब पक्की आदत बन जाए, पता ही नहीं चलता।
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