क्रिकेटर गौतम गंभीर पंजाबी समाज से आते हैं। पर उनकी एक पहचान मुल्तानी परिवार से संबंध रखने वाले इंसान की भी है। मुल्तानी यानी वे लोग, जिनके पूर्वज देश के बंटवारे के समय सरहद के उस पार के पंजाब के मुल्तान शहर से राजधानी या देश के दूसरे भागों में आकर बसे थे। अकेले दिल्ली-एनसीआर में 10-12 लाख से अधिक हैं मुल्तानियों की आबादी मानी जाती है। दरअसल जब पंजाबी समाज की बात होती तो ना जाने क्यों मान लिया जाता है कि सब एक ही जैसी भाषा या बोली बोलते होंगे या सबका एक जैसा ही खान-पान होगा। ये बात सही नहीं है। पंजाबी सरायकी, मुल्तानी, बन्नूवाली, झांगी जैसी बोलियां भी बोलते हैं। ये सब एकदूसरे से थोड़ी-बहुत भिन्न हैं।
दिल्ली में 50 पार कर चुके मुल्तानी अब भी आपसी बातचीत में मुल्तानी में ही बात करना पसंद करते हैं। लेकिन आज की युवा पीढ़ी अब मुल्तानी नहीं बोल पाती। दिल्ली में पहाड़गंज का मुल्तानी ढांडा, अशोक विहार, शहादरा, कृष्णा नगर, गीता कॉलोनी, पीतम पुरा, रानी बाग, आदर्श नगर, मुल्तान नगर, नबी करीम, राम नगर, चूना मंडी, मॉडल टाउन जैसे इलाके मुल्तानियों से भरे पड़े हैं। पंजाबी समाज से संबंध रखने वाले अरोड़ा, गंभीर, सचदेवा, चावला, सरदाना, नागपाल, आहूजा, मुखी वगैरह अधिकतर मुल्तानी ही हैं। अंडमान-निकोबार के उप राज्यपाल जगदीश मुखी भी मुल्तानी समाज से हैं। वे दिल्ली के वित्त मंत्री भी रहे हैं। हां, मुल्तानी पंजाबी का विवाह गैर-मुल्तानी से हो सकता है। गौर करें कि ये अधिकतर शाकाहारी हैं। इनके घरों में मांस का सेवन लगभग निषेध है।