कोरोना का कहर कम हो रहा है। इस महामारी से देश में स्वस्थ होने की दर 86 फीसद पहुंच चुकी है। 18 राज्यों में स्वस्थ होने वालों की दर राष्ट्रीय औसत से भी अधिक है। स्वस्थ होने वाले लोग सक्रिय केस से करीब 7 गुना हो चुके हैं। अगस्त के बाद पहली बार छह अक्टूबर को एक दिन में सबसे कम 61,267 नए मामले आए हैं। उम्मीद है कि आने वाले दिनों में यह संख्या और कम हो सकती है। कोविड-19 महामारी भारत में काबू होने की ओर है। इस बदली तस्वीर का सारा श्रेय सरकार और समाज को जाता है। सरकारों की सक्रियता और आपकी सजगता से महामारी की तस्वीर बदलने लगी है।
चेतना, सतर्कता और जागरूकता
मगर… हमें गाफिल नहीं होना है। यही चेतना, सतर्कता और जागरूकता बनाए रखनी होगी। विश्व स्वास्थ्य संगठन कह चुका है कि दुनिया के हर दस में से एक व्यक्ति कोरोना संक्रमित हो चुका है। उस हिसाब से भारत की करीब 13 करोड़ आबादी इसकी चपेट में आ चुकी होगी। इसमें से ज्यादातर लोग एसिम्टोमैटिक (जिनमें लक्षण जाहिर नहीं होते हैं) होंगे। ये प्रसार के बड़े वाहक हो सकते हैं। पूरा देश खुल चुका है। आगामी 17 अक्टूबर से त्योहारों का आगाज हो रहा है जिनका उल्लास लंबे समय तक कायम रहेगा। त्योहारों के दौरान लोग ज्यादा बाहर निकलते हैं, ज्यादा घुलते-मिलते हैं, खरीदारी करते हैं। करना हमें सब कुछ है, लेकिन सावधानी और सतर्कता के साथ। केरल और महाराष्ट्र सहित दक्षिण के अन्य राज्यों में हाल के त्योहारों के बाद नए मामलों में एकदम से इजाफा दिखा है।
बेफिक्री हो सकती है खतरनाक
पश्चिमी देशों का अनुभव बताता है कि वहां चरम से मामले कम होने के बाद लोग बेफिक्र हो गए और उन देशों में अब यह महामारी फिर से पैर पसार रही है। हमें अब इस महामारी के किसी और दौर को आने ही नहीं देना है। हमेशा मास्क लगाकर ही बाहर निकलना है। शारीरिक दूरी बनाए रखनी है। विभिन्न कार्य-दायित्वों को पूरा करने में उन तमाम सरकारी दिशा-निर्देशों का पालन करना होगा। ऐसे ही हम इस महामारी के ताबूत में आखिरी कील ठोंक सकते हैं। अब चूकना नहीं है। आसुरी ताकतों पर विजय के प्रतीक नवरात्र और विजयदशमी पर्वों पर इस विषाणु के खात्मे का संकल्प लेंगे।
पहली लहर से हम जीतने की ओर
भारत में रोजाना नए मामलों की कम संख्या बताती है कि पहली लहर से हम जीतने की ओर बढ़ रहे हैं। इसी दौरान आया एसबीआइ का विश्लेषण बताता है कि कैसे त्योहारी सीजन में दूसरी लहर आ सकती है। कई राज्यों में गणेश चतुर्थी और ओणम जैसे त्योहारों के दौरान संक्रमित होने वाले लोगों की संख्या में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई थी और आगामी त्योहारी सीजन में यह स्थिति फिर से आ सकती है। नवरात्र, दशहरा और दीपावली में लोगों को ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है, अन्यथा त्योहार की खुशियां कोरोना के संक्रमण के सामने फीकी पड़ सकती हैं।
उल्लास में अंकुश जरूरी
रिपोर्ट के अनुसार, गणेश चतुर्थी और ओणम जैसे त्योहारों के दौरान कुछ राज्यों में कोविड-19 के संक्रमण और मौतों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई। बड़े पैमाने पर लोगों के बाहर निकलने के साथ ही शारीरिक दूरी, मास्क पहनने और हाथों की सफाई पर ध्यान न देने से ऐसी परिस्थितियां पैदा हुईं। आगामी समय में नवरात्र आने वाले हैं। इसके साथ ही दशहरा और दुर्गापूजा जैसे बड़े त्योहारों के दौरान सावधानी बरतने की जरूरत होगी।
घटने की दर
मार्च में एक दिन में कोरोना संक्रमण के 100 मामले थे। भारत का कोविड-19 ग्राफ 173 दिनों में सितंबर मध्य में 97 हजार दैनिक मामलों तक पहुंच गया। अब बड़ा सवाल है कि हम मार्च के स्तर तक कब पहुंचेंगे? एसबीआइ रिपोर्ट के अनुसार, ज्यादातर पश्चिम के प्रभावित बड़े देशों में एक बार मामले घटने के बाद फिर से बढ़ रहे हैं। हालांकि जापान, स्वीडन और पेरू इसके अपवाद भी हैं।
कोरोना मामलों के चरम का गुजर जाना महामारी का खात्मा नहीं है। कई यूरोपियन देशों में यह प्रवृत्ति देखी गई है।
कब होगी मार्च की स्थिति
महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और केरल में त्योहारी सप्ताह के बाद अचानक से मामलों में उछाल आया
ग्रामीण भारत की तस्वीर
लॉकडाउन के दौरान प्रवासी मजदूर जब अपने घर लौटे तो शहरी क्षेत्रों की अपेक्षा ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना संक्रमण की हिस्सेदारी ज्यादा थी। एसबीआइ रिपोर्ट के अनुसार, संक्रमण के नए मामलों में ग्रामीण क्षेत्रों की हिस्सेदारी अगस्त में सर्वाधिक 53.7 फीसद रही, लेकिन सितंबर में शहरी जिलों में आधे से ज्यादा नए मामले थे। यह ज्यादा लोगों के काम पर जाने और काम की तलाश में प्रवासियों के शहरों की ओर लौटने के कारण हो सकता है।
कई राज्यों में बढ़ रहे मामले
भारत में यद्यपि दैनिक मामले घट रहे हैं, लेकिन कुछ राज्यों में यह मामले बढ़ रहे हैं। राजस्थान, केरल और कर्नाटक में मामले बढ़ रहे हैं, जबकि पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और गुजरात में कुछ हद तक कम हुए हैं, लेकिन नियंत्रण में नहीं हैं।
ग्रामीण क्षेत्र में नए केस (% में)
सर्वाधिक प्रभावित 25 जिलों में अन्य राज्यों की तुलना में महाराष्ट्र के सर्वाधिक जिले शामिल हैं।
25 सर्वाधिक प्रभावित जिलों में से 14 ग्रामीण हैं, जबकि शीर्ष छह शहरी जिलों में संक्रमण के आधे नए मामले हैं।