कोरोना हुआ और भी खतरनाक, ठीक हुए मरीज में मिले ये लक्षण

कोरोना वायरस संक्रमण रोकने के लिए जिस देश की दुनियाभर में तारीफ हो रही है, उस देश में 51 मरीज दोबारा पॉजिटिव पाए गए हैं. साउथ कोरिया ने कोरोना के मामले शुरू होने के साथ ही बड़ी संख्या में लोगों के टेस्ट किए थे. इसकी वजह से देश में कोरोना पर काफी हद तक नियंत्रण हो गया है. लेकिन 51 मरीजों के दोबारा पॉजिटिव आने पर न सिर्फ साउथ कोरिया बल्कि अन्य देशों की चिंताएं भी बढ़ गई हैं.

डेली मेल की रिपोर्ट के मुताबिक, कोरोना वायरस से पॉजिटिव पाए गए लोगों को साउथ कोरिया के डैगु में क्वारनटीन किया गया था. लेकिन टेस्ट रिजल्ट निगेटिव आने के बाद उन्हें क्वारनटीन से छोड़ दिया गया. लेकिन कुछ ही दिन बाद 51 लोग दोबारा पॉजिटिव पाए गए. साउथ कोरिया के स्वास्थ्य अधिकारियों का मानना है कि कोरोना वायरस इंसानों के भीतर ऐसी जगह छिप जाता है जिसका पता लगाना मुश्किल होता है. बता दें कि साउथ कोरिया में संक्रमित लोगों की संख्या करीब 10,300 है. वहीं 192 लोगों की मौत हो चुकी है. हालांकि, डैगु इलाके में संक्रमण सबसे अधिक है.

साउथ कोरिया के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन (KCDC) का कहना है कि ऐसा लगता है कि मरीज दोबारा संक्रमित नहीं हुआ बल्कि वायरस फिर से एक्टिव हो गया. हालांकि, ब्रिटिश एक्सपर्ट का कहना है कि अब तक ऐसे सबूत नहीं मिले हैं जिससे ये साबित होता हो कि मरीज के भीतर वायरस दोबारा एक्टिवेट होते हैं. 

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ब्रिटेन के ईस्ट एन्गलिया यूनिवर्सिटी में संक्रमित रोगों के प्रोफेसर पॉल हंटर ने कहा- मैं मानता हूं कि ये मरीज दोबारा संक्रमित नहीं हुए होंगे. लेकिन मैं यह भी नहीं सोच रहा हूं कि वायरस दोबारा एक्टिव हो गए. मुझे लगता है कि पहले उनकी जांच रिपोर्ट में गलती से निगेटिव रिजल्ट आया होगा. प्रोफेसर हंटर ने कहा कि पारंपरिक तौर पर कोरोना वायरस के जो टेस्ट किए जाते हैं उनमें 20 से 30 फीसदी संभावना गलत परिणाम देने की होती है. उन्होंने कहा कि क्वारनटीन से छोड़े जाने के वक्त साउथ कोरिया में मरीजों के जिन टेस्ट के बाद रिजल्ट निगेटिव आए, वे सही नहीं रहे होंगे. असल में उस वक्त भी मरीज संक्रमित ही रहे होंगे.

कोरिया के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन (KCDC) के डायरेक्टर जनरल इउन किओंग का कहना है कि डैगु में इन मामलों की जांच के लिए एक टीम को भेजा गया है. इससे पहले जापान के भी एक्सपर्ट ने चिंता जताते हुए कहा था कि मरीज दोबारा संक्रमित हो सकते हैं, क्योंकि वहां भी एक महिला और एक पुरुष के दोबारा पॉजिटिव होने की बात सामने आई थी.

लीड्स यूनिवर्सिटी में वायरोलॉजी के प्रोफेसर मार्क हैरिस ने कहा है कि मरीजों के दोबारा पॉजिटिव पाए जाने की रिपोर्ट साफतौर से चिंताजनक है. उन्होंने कहा कि इसकी संभावना कम है कि मरीज फिर से संक्रमित हुए होंगे क्योंकि पहली बार वे इम्यून रेस्पॉन्स डेवलप कर लते हैं. प्रोफेसर मार्क हैरिस ने कहा कि दूसरी संभावना ये है रिपोर्ट निगेटिव आने के वक्त असल में मरीज संक्रमण मुक्त नहीं हुए होते हैं. हालांकि, जानकारों का ये भी कहना है कि ऐसे मामले अपवाद के तौर पर ही सामने आते हैं.

 

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