धरती पर कोरोना वायरस संक्रमित लोगों की संख्या 2 करोड़ 23 लाख होने के बावजूद विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का कहना है कि दुनिया कहीं से भी हर्ड इम्यूनिटी हासिल करने के करीब नहीं पहुंची है. WHO के इमरजेंसी प्रोग्राम के डायरेक्टर माइकल रेयान ने कहा है कि लोगों को ये उम्मीद नहीं करनी चाहिए कि हर्ड इम्यूनिटी से कोरोना रुक जाएगा.
डेली मेल की रिपोर्ट के मुताबिक, वैज्ञानिकों का मानना है कि आबादी में 70 फीसदी लोगों के कोरोना से बीमार पड़कर ठीक होने के बाद हर्ड इम्यूनिटी हासिल होती है. 70 फीसदी लोगों के इम्यून होने के बाद वायरस का संक्रमण रुक जाता है. हालांकि, कुछ आशावादी एक्सपर्ट ये भी कहते हैं कि आबादी के 40 फीसदी लोगों के संक्रमित होने पर भी वायरस का कहर खत्म हो सकता है.
कुछ स्टडीज में ये सामने आया है कि कोरोना वायरस के मामले काफी अधिक फैलने के बावजूद ब्रिटेन में सिर्फ 10 से 20 फीसदी लोग ही इम्यून हुए हैं. WHO एक्सपर्ट रेयान का कहना है कि वैश्विक स्तर पर हम कहीं से भी हर्ड इम्यूनिटी हासिल करने के करीब नहीं हैं. ये समस्या का हल नहीं है. हमें इस पर ध्यान नहीं देना चाहिए.
ब्रिटेन की सरकार ने शुरुआत में ही कोरोना को रोकने के लिए हर्ड इम्यूनिटी के विकल्प पर विचार किया था. लेकिन बाद में उन्हें आलोचना का सामना करना पड़ा. स्वीडन ने तो लॉकडाउन इस उम्मीद में लागू ही नहीं किया क्योंकि उन्हें उम्मीद थी कि जल्दी हर्ड इम्यूनिटी हासिल हो जाएगी. लेकिन फिलहाल स्वीडन भी हर्ड इम्यूनिटी के करीब पहुंचता नहीं दिख रहा.
एक्सपर्ट्स का कहना है कि जब तक वैक्सीन नहीं आ जाती, तब तक हर्ड इम्यूनिटी की कोशिश खतरनाक हो सकती है. क्योंकि कोरोना से जान बचाने के लिए कोई भी दवा पूरी तरह सफल नहीं हो सकी है. इसकी वजह से हर्ड इम्यूनिटी की कोशिश में बड़े पैमाने पर मौतें हो सकती हैं.