कोरोना के प्रकोप ने न केवल लोगों की दिनचर्या बदल दी है, बल्कि अन्य तरह की चिंताएं भी दिखाई देने लगी हैं। लोगों के मन में संपत्ति की चिंता बढ़ गई है। जिला पंजीयक कार्यालय के आंकड़े बताते हैं कि वसीयत के लिए अप्रैल 2020 से अब तक 457 से लोगों ने आवेदन जमा किए हैं। जबकि सामान्य दिनों में एक महीने में 15 से 20 अर्जियां ही लगती थीं। पहले 75 से 80 साल के बुजुर्ग वसीयत को लेकर सक्रिय होते थे, लेकिन अब 60 वर्ष के लोग भी इसके लिए गंभीर हो गए हैं। वसियत के मामलों के बढ़ने के पीछे चिकित्सा विशेषज्ञों की सलाह और चेतावनी को भी बड़ा कारण माना जा रहा है।

बुजुर्गो पर संक्रमण के खतरे को लेकर जिस तरह सावधानी बरतने कहा जा रहा है परिवार के सदस्य संपत्ति को लेकर चिंता करने लगे हैं। कोरोना संक्रमण से पहले की व्यवस्था पर नजर डालें तो बुजुर्ग या गंभीर बीमारी से ग्रसित व्यक्ति ही अपने उत्तराधिकारियों के नाम संपत्तियों का वसीयत कराते थे।
सरकंडा के जितेंद्र कुमार ने बताया कि उनके 65 वर्षीय पिता कोरोना संक्रमित हुए तो इलाज के दौरान ही ठीक होते ही संपत्ति की वसीयत की बात करने लगे। घर लौटते ही वकील से संपर्क कर वसीयतनामा बनवाया। जूनाबिलासपुर निवासी विकास कुमार ने बताया कि एक महीने पहले उनके 60 वर्षीय पिता कोरोना संक्रमित हो गए थे। इलाज के लिए रायपुर के एम्स में भर्ती थे। ठीक होने के बाद सबसे पहले उन्होंने वसीयत कराने की बात कही। उनका कहना था कि मौजूदा दौर में जिंदगी का कोई ठिकाना नहीं है। लिहाजा संपत्तियों का परिवार के सदस्यों के बीच आपस में बंटवारा हो जाए तब वे निश्चिंत हो जाएंगे।
ये है वसीयतनामा
जीवित व्यक्ति अपनी संपत्ति जिसे देना चाहता है उसके नाम पर कानूनी दस्तावेज तैयार कराते हैं। नोटरी के समक्ष गवाहों के हस्ताक्षर लिए जाते हैं। इसके बाद वसीयत पूरी हो जाती है। रजिस्ट्रार द्वारा रजिस्टर्ड किए जाने के बाद यह कानूनी रूप ले लेता है। जिला पंजीयक उषा साहू का कहना है कि कोरोना संक्रमण के चलते वसीयत कराने वालों की संख्या में अचानक बढ़ोतरी हो गई है।
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