कोरोना महामारी के कारण लॉकडाउन जैसी स्थिति न होती तो इस बार की चार धाम यात्रा में प्रदेश की दूरदराज की महिलाएं आपस में मिलकर करोड़ों का कारोबार कर रही होतीं।
2018-19 में इन महिलाओं ने सिर्फ केदारनाथ में ही दो करोड़ रुपये से अधिक का प्रसाद बेचा था। महिलाओं की इस कोशिश को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक ने सराहा था। अब अनलॉक टू में यात्रा को सीमित स्तर पर शुरू करने के साथ ही महिलाओें की इस उद्यमिता को भी अनलॉक करने की जरूरत है।
पिछले वर्ष सिर्फ केदारनाथ में ही महिलाओं ने बेचा था दो करोड़ रुपये का देवतुल्य प्रसाद
अपने आसपास की चीजों का इस्तेमाल करते हुए स्थानीय स्पर्श बाजार में किस तरह पैठ बना सकता है, चार धामों का प्रसाद बनाने वाली महिलाओं ने इसकी मिसाल पेश की है।
इन महिलाओं ने एक साल के अंतराल और एक ही धाम में दो करोड़ से अधिक का व्यवसाय किया। लेकिन, कोरोना महामारी के कारण इस साल इनका व्यवसाय ठप पड़ा है। प्रदेश सरकार ने सीमित स्तर पर चार धाम यात्रा शुरू की है, लेकिन प्रसाद वितरण पर अभी रोक बरकरार है। इसका नुकसान इन महिला उद्यमियों को भी उठाना पड़ रहा है।
चारों धामों और अन्य तीर्थों में आने वाले यात्रियों को दिए जाने वाले प्रसाद का कारोबार करीब 50 करोड़ रुपये का माना जाता है। यह प्रसाद अभी तक बाहर से मंगाए जाने वाने चने, मुरमुरे आदि के रूप में दिया जाता था। पिछले कुछ सालों में इस प्रसाद से प्रदेश की स्वयं सहायता समूह की महिलाएं जुड़ीं और इन्होंने चौलाई के लड्डू, कुंजड़ू, टिमरू से बनी धूप, गंगाजल आदि को प्रसाद के रूप में देना शुरू किया। ग्राम्य विकास विभाग के मुताबिक पहले चरण में करीब 500 महिलाएं इससे जुड़ीं और केदारनाथ में ही दो करोड़ रुपये का कारोबार किया गया।
प्रसाद योजना यह भी बताती है कि स्थानीय बाजार कैसे पनप सकता है। स्थानीय उत्पाद चौलाई के लड्डू बनाए गए तो चौलाई उगाने वालों को बेहतर दाम मिले और खासी मात्रा में चौलाई खरीदी भी गई।
ऑनलाइन प्रसाद की योजना पर भी काम किया जा रहा है। यहां भी यह पहल की जा सकती है। स्थानीय हवन सामग्री, जड़ी बूटी, चौलाई आदि के उपयोग की भी कोशिश है। बदरीनाथ में माणा के स्वयं सहायता समूह ने यह प्रयोग किया भी है। स्थानीय स्तर पर इस योजना में दूरदराज की ग्रामीण महिलाओं को बेहतर आय देने की क्षमता है।
– कपिल उपाध्याय, विपणन विशेषज्ञ
इन मंदिरों में है प्रसाद की योजना
अल्मोड़ा- जागेश्वर
चमोली-बदरीनाथ, गोपीनाथ
रुद्रप्रयाग-केदारनाथ, कोटेश्वर
उत्तरकाशी-विश्वनाथ, गंगोत्री
टिहरी-सुरकंडा
पौड़ी -ज्वाल्पा देवी
इन मंदिरों में किया जाएगा शुरू
अल्मोड़ा-चितई
बागेश्वर-बागनाथ, बैजनाथ
चमोली-कर्णप्रयाग
रुद्रप्रयाग-त्रिजुुगीनारायण
उत्तरकाशी-यमुनौत्री
पिथौरागढ़-मौस्टमानू, थलकेदार
टिहरी-कुंजापुरी
देहरादून-महासू
पौड़ी-सिद्धबली, नीलकंठ