लखनऊ के वरिष्ठ आयुर्वेदाचार्य वैद्य अजय दत्त शर्मा ने कहा कि कोरोना काल में दुनिया भारतीय चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद की तरफ आकर्षित हुई है। आज यह प्रमाणित हो चुका है कि आयुर्वेद में स्वस्थ रहने के अचूक मंत्र दिए गए हैं।
आयुर्वेद ही सभी जीवों को स्थायी व स्वस्थ रहने का उपहार दे सकता है। नाथ परंपरा में योग और आयुर्वेद का महत्वपूर्ण स्थान रहा है। नाथ योगियों ने योग और आयुर्वेद के सिद्धांतों को लोक-कल्याण का आधार मानकर जन-जन तक पहुंचाने का श्रमसाध्य कार्य किया है।
वैद्य अजय बृहस्पतिवार को एमपी पीजी कॉलेज जंगलधूसड़ में आयोजित व्याख्यानमाला के चौथे दिन शामिल हुए। कहा कि वे नाथ योगी ही थे, जिन्होंने देश भर में अपने प्रवासों के माध्यम से जन समुदाय तक आयुर्वेद व योग के नियमों के अनुपालन की शिक्षा दी। गोरक्षपीठ आज भी ब्रह्मलीन पीठाधीश्वरों एवं सिद्धांतों के द्वारा स्थापित इसी परंपरा के पालन में लगा हुआ है।
प्राचार्य डॉ. प्रदीप कुमार राव ने कहा कि आज दुनिया जिस वैश्विक महामारी कोरोना से जूझ रही है, वह आयुर्वेद के श्रेष्ठ सिद्धांतों की अवमानना और अवहेलना का ही परिणाम है।
आयुर्वेद के सिद्धांतों की प्रासंगिकता पुन: समाज में स्थापित करनी ही होगी। महाविद्यालय के फेसबुक और यू-ट्यूब चैनल पर बड़ी संख्या में शिक्षक, विद्यार्थी और दर्शकों ने उपस्थिति दर्ज कराई।