कोरोना वायरस से बचाव के लिए सरकार और स्वास्थ्य विभाग का सतर्कता अभियान जारी है। इससे लोगों में भी जागरूकता बढ़ी है। संक्रमण फैलने से बचने-बचाने के लिए लोग अब संगम जाने से भी परहेज कर रहे हैं। तीर्थ यात्रियों की संख्या अनुमानित तौर पर करीब 40 प्रतिशत तक घट गई है। यहां तक कि तीर्थ पुरोहितों के दैनिक रजिस्टर भी आधे ही भर पा रहे हैं जिन पर वे पिंडदान के लिए आने वालों का विवरण दर्ज करते हैं।
हर राेज हजारों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं संगम
संगम पर रोज ही हजारों लोग पहुंचते हैं। गंगा स्नान कर मोक्ष की कामना करते हैं लेकिन, कोरोना वायरस के चलते संगम तट की तस्वीर कुछ बदली-बदली सी है। वहां पहुंचने वाले श्रद्धालुओं की संख्या लगातार घट रही है। एक स्थान पर भीड़ न जुटने पाए इसके प्रति श्रद्धालु खुद ही सजग हो रहे हैं। तबेलिया पंडा समूह के तीर्थ पुरोहित राजेश कुमार तिवारी कहते हैं कि यात्रा के तमाम साधन धीरे-धीरे बंद हो रहे हैं इस वजह से लोग नहीं आ रहे हैं। वैसे यह भी कारण हो सकता है कि हर कोई भीड़ में शामिल होने से खुद ही बच रहा हो। कहा कि चार दिनों में करीब 40 प्रतिशत श्रद्धालुओं की संख्या घट गई है। तीर्थ पुरोहित राजेंद्र पालीवाल का कहना है कि आज पूरा देश कोरोना से बचने के लिए एहतियात बरत रहा है। यह अच्छा भी है क्योंकि सनातन धर्म में धार्मिक कामकाज उचित समय पर करने का विधान है। अभी संकट की घड़ी है, धार्मिक कार्य बाद में भी हो सकते हैं।
ऊंट की सैर कराने का धंधा भी मंदा
संगम पर श्रद्धालुओं के न आने से ऊंट की सैर कराने वालों का व्यापार भी मंदा चल रहा है। बुधवार को संगम नोज पर ऊंट वाले निराश बैठे दिखे। चंचल यादव ने कहा कि इन दिनों बहुत कम लोग संगम आ रहे हैं। दैनिक आमदनी घट गई है। किसी तरह से दो जून की रोटी का जुगाड़ हो रहा है।
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