ब्रिटेन के वैज्ञानिकों की स्टडी में इस बात की पुष्टि हुई है कि पहले वाले कोरोना स्ट्रेन के मुकाबले नए स्ट्रेन से मरीज अधिक बीमार नहीं होता. हालांकि, B.1.1.7 स्ट्रेन का संक्रमण तेजी से फैलता है. पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड के वैज्ञानिकों ने स्टडी के लिए 1769 पुराने वैरिएंट वाले मामले की तुलना 1769 नए वैरिएंट वाले मामलों से की.
पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड की सीनियर मेडिकल एडवाइजर सुसन हॉपकिन्स ने कहा कि स्टडी में पता चला है कि नए वैरिएंट से मृत्यु दर नहीं बढ़ती है और न ही मरीज पहले के मुकाबले अधिक बीमार होते हैं. लेकिन वैज्ञानिक अभी इस विषय पर अपनी जांच जारी रखेंगे ताकि नए वैरिएंट को और बेहतर तरीके से समझा जा सके.
ब्रिटेन में नए वैरिएंट के मामले बढ़ने की वजह से लाखों लोगों को पर सख्त पाबंदियां लगा दी गई हैं. विभिन्न देशों ने ब्रिटेन के साथ हवाई सेवाएं भी रोक दी हैं. इसकी वजह से यह देश दुनिया में अलग-थलग पड़ गया है. वहीं, मंगलवार को अमेरिका में भी नए स्ट्रेन की पुष्टि हो गई.
एक विश्लेषण में ब्रिटेन के वैज्ञानिकों को यह भी पता चला है कि नए वैरिएंट के संपर्क में आने वाले 15 फीसदी लोग संक्रमित पाए गए, जबकि दूसरे वैरिएंट वाले मामलों के संपर्क में आने से 10 फीसदी लोग संक्रमित हुए.
पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड और बर्मिंघम यूनिवर्सिटी की एक स्टडी में यह भी सामने आया है कि नए वैरिएंट से संक्रमित 35 फीसदी लोगों के टेस्ट सैंपल में कोरोना वायरस की मात्रा काफी अधिक थी, वहीं, अन्य वैरिएंट से संक्रमित सिर्फ 10 फीसदी लोगों के सैंपल में वायरस की मात्रा काफी अधिक थी. इससे यह समझा जा रहा है कि अधिक वायरल लोड की वजह से B.1.1.7 वैरिएंट अधिक फैलता है.