कोरोना की लड़ाई जारी: केंद्र सरकार ने नई योजनाओं की शुरुआत पर 9 महीनों तक की रोक लगायी

कोरोना संकट और लॉकडाउन की वजह से देश की इकोनॉमी पस्‍त नजर आ रही है. इस वजह से राजस्व का नुकसान तो हुआ ही है, सरकार का खर्च भी बढ़ा है.

इस हालात का असर सरकार की नई योजनाओं पर पड़ने लगा है. दरअसल, केंद्र सरकार ने नई योजनाओं की शुरुआत पर रोक लगा दी है. वित्त मंत्रालय ने विभिन्न मंत्रालयों और विभागों द्वारा अगले 9 महीनों या मार्च, 2021 तक स्वीकृत नई योजनाओं की शुरुआत को रोक दिया है.

कोरोना की लड़ाई में आर्थिक संकट से जूझ रहे वित्त मंत्रालय ने वित्त वर्ष 2020-21 के लिए किसी नई योजना की शुरुआत पर रोक लगा दी है. ये रोक उन योजनाओं पर हैं जो स्वीकृत या मूल्यांकन श्रेणी में हैं. यह आदेश उन योजनाओं पर भी लागू होगा जिनके लिए वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग ने सैद्धांतिक अनुमोदन दे द‍िया है.

हालांकि, आत्मनिर्भर भारत और प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजनाओं पर कोई रोक नहीं रहेगी. सरकार की ओर से जारी आदेश में साफतौर पर कहा गया है कि विभिन्न मंत्रालय नई योजनाओं की शुरुआत न करें. प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना या आत्म निर्भर भारत अभियान के तहत घोषित योजनाओं पर ध्यान केंद्रित करें.

वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग की ओर से 4 जून को जारी आदेश में कहा गया, ‘कोरोना महामारी के मद्देनजर सार्वजनिक वित्तीय संसाधनों पर अभूतपूर्व मांग है और बदलती प्राथमिकताओं के साथ संसाधनों का विवेकपूर्ण तरीके से उपयोग करने की आवश्यकता है.’

इस आदेश में कहा गया, ‘स्थायी वित्त समिति प्रस्तावों (500 करोड़ रुपये से उपर की योजना) सहित वित्तीय वर्ष 2020-21 में पहले से ही स्वीकृत या अनुमोदित नई योजनाओं की शुरुआत एक वर्ष तक निलंबित रहेगी.’

कोरोना संकट के कारण वित्त मंत्रालय ने यह अहम फैसला लिया है, क्योंकि सरकार के पास राजस्व कम आ रहा है. लेखा महानियंत्रक के पास उपलब्ध रिपोर्ट से पता चलता है कि अप्रैल 2020 के दौरान 27,548 करोड़ रुपये राजस्व मिला, जो बजट अनुमान का 1.2% था. जबकि सरकार ने 3.07 लाख करोड़ खर्च किया, जो बजट अनुमान का 10 फीसदी था.

वित्तीय संकट से जूझने की वजह से सरकार कर्ज भी ज्‍यादा ले रही है. बीते दिनों सरकार ने ऐलान किया था कि वह चालू वित्त वर्ष के लिए अपने बाजार से कर्ज लेने का अनुमान 4.2 लाख करोड़ रुपये से बढ़ाकर 12 लाख करोड़ रुपये करेगी.

वित्त मंत्रालय ने कहा था कि वित्त वर्ष 2020-21 में अनुमानित कर्ज 7.80 लाख करोड़ रुपये के स्थान पर 12 लाख करोड़ रुपये होगा. लेखा महानियंत्रक द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों से पता चलता है कि वित्त वर्ष के पहले महीने में अनुमानित राजकोषीय घाटे को एक तिहाई से अधिक का नुकसान हुआ है.

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