दुनियाभर में कोरोना वायरस से अब तक 10 करोड़ 20 लाख से भी अधिक लोग संक्रमित हो चुके हैं। सबसे ज्यादा संक्रमण के मामले में अमेरिका और भारत क्रमश: पहले और दूसरे स्थान पर हैं। हालांकि कई देश तो ऐसे भी हैं, जहां संक्रमण के मामले लगभग न के बराबर आ रहे थे, लेकिन अब वहां भी मामले बढ़ने लगे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, अफ्रीका में तो कोरोना की दूसरी लहर चल रही है। संगठन के एक शीर्ष अधिकारी का कहना है कि कई अफ्रीकी देशों में हाल ही में कोरोना के नए स्ट्रेन पाए गए हैं, जिसकी वजह से अफ्रीका महाद्वीप में महामारी की दूसरी लहर लंबे समय तक रह सकती है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अफ्रीका महाद्वीप के क्षेत्रीय निदेशक मातशिदीसो मोइती ने गुरुवार को एक बयान जारी कर कहा कि कोरोना के नए स्ट्रेन बेहद ही संक्रामक हैं, जिसकी वजह से महामारी के प्रसार को नियंत्रित करने के प्रयास विफल हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि दक्षिण अफ्रीका में पाया गया कोरोना का नया स्ट्रेन दुनिया के कई देशों में फैल चुका है। यह नया स्ट्रेन कई अफ्रीकी देशों में भी तेजी से फैल रहा है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, कोरोना वायरस का नया स्ट्रेन ‘501 वाई. वी 2’ सबसे पहले दक्षिण अफ्रीका में पाया गया था। यह बेहद ही संक्रामक है। यह नया स्ट्रेन दक्षिण अफ्रीका के अलावा जांबिया, घाना, केन्या और बोत्सवाना आदि देशों में भी फैल रहा है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, दक्षिण अफ्रीका में पाया गया कोरोना का नया स्ट्रेन अब 30 से अधिक देशों में फैल चुका है। पिछले एक हफ्ते में यह वायरस आठ नए देशों तक पहुंच गया है। वहीं, ब्रिटेन में पाया गया कोरोना का नया स्ट्रेन अब तक करीब 70 देशों में फैल चुका है, जिसमें भारत और अमेरिका भी शामिल हैं।
हालांकि कोरोना वैक्सीन विकसित करने वाली कंपनी फाइजर और बायोएनटेक ने दावा किया है कि उनकी वैक्सीन ब्रिटेन और दक्षिण अफ्रीका में मिले कोरोना के नए स्ट्रेन से लड़ने में सक्षम है। नए स्ट्रेन पर इस वैक्सीन के प्रभावों पर किया गया यह अध्ययन बायोआरविक्स में प्रकाशित किया गया है। फाइजर-बायोएनटेक का कहना है कि कोरोना के पुराने और नए स्ट्रेन में कुछ खास अंतर नहीं है। इसलिए हमारी वैक्सीन नए स्ट्रेन पर भी असरदार है।