राजधानी में एक बार फिर कोरोना संक्रमण की रफ्तार तेज होने के आसार उत्पन्न हो गए हैं। सिंघु बॉर्डर पर डटे 300 से ज्यादा किसानों को बुखार, जुकाम और खांसी है, लेकिन उन्होंने कोरोना जांच कराने से इनकार कर दिया है। उनका कहना है कि इसके पीछे उन्हें यहां से हटाने की साजिश भी हो सकती है। हालांकि, दिल्ली सरकार की ओर से किसानों के लिए स्वास्थ्य के साथ तमाम सुविधा उपलब्ध कराई गई हैं।

नए कृषि कानून के विरोध में किसान दसवें दिन भी सिंघु बॉर्डर पर डटे रहे। वहीं, टीकरी, चिल्ला और गाजीपुर बॉर्डर पर भी आंदोलनकारी बिगुल फूंक रहे हैं। शनिवार को सिंघु बॉर्डर पर बड़ी संख्या में किसान बीमार नजर आए। पंजाब से आए किसान हरबीर सिंह का कहना है कि लगभग 300 लोग बीमार हैं। इनमें ज्यादातर को बुखार है और कुछ को खांसी-जुकाम। किसानों का मानना है कि ठंड में रहने के कारण ऐसा हो रहा है, लेकिन चर्चा यह भी है कि उन्हें कोरोना भी हो सकता है। पुलिस-प्रशासनिक अधिकारियों ने उन्हें कोरोना जांच कराने की बात कही तो उन्होंने इनकार कर दिया।
सूत्रों का कहना है कि किसानों को डर है कि कहीं कोरोना जांच में फर्जी रिपोर्ट लगाकर उन्हें 14 दिन के लिए क्वारंटीन न कर दिया जाए। इसके पीछे केंद्र की साजिश भी हो सकती है, लेकिन अधिकारियों का कहना है कि जांच केंद्र नहीं, दिल्ली सरकार करा रही है। इसलिए डरने की बात नहीं है, परंतु किसान फिर भी नहीं मान रहे हैं।
किसानों की सेवा करने के लिए दवाइयों के लंगर भी लगाए जा रहे हैं। वहां भी लोगों को कोरोना संक्रमण से बचाव के उपाय बताए जा रहे हैं, परंतु ज्यादातर किसान न तो मास्क लगाते हैं और न ही सामाजिक दूरी का पालन होता है। इसलिए आशंका है कि यदि कोई कोरोना संक्रमित हो गया तो उससे बड़ी संख्या में लोग चपेट में आ सकते हैं।
सफदरजंग अस्पताल के डॉक्टर जुगल किशोर ने बताया कि सामान्य तौर पर सर्दी खांसी फ्लू भी हो सकता है। फिलहाल कोरोना काल चल रहा है। इसलिए किसानों को जांच कराने से इनकार नहीं करना चाहिए। क्योंकि, यह उनकी और दूसरों की सुरक्षा का सवाल है। उन्होंने सलाह दी कि जांच से डरने की जरूरत नहीं है।
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