पर्यावरण आने वाले समय की सबसे बड़ी समस्या हैं। पर्यावरण को बचाने के लिए पूरे साल सरकार व अन्य संस्थाएं अभियान चलाती हैं। वहीं, यूपी के छात्रों में पर्यावरण इंजीनियरिंग को लेकर रूझान खत्म होता जा रहा हैं।
एकेटीयू से सम्बद्ध एक दर्जन से अधिक इंजीनियरिंग कॉलेजों में पर्यावरण इंजीनियरिंग का कोर्स बंद हो चुका है। प्रदेश के दो कॉलेजों में ही पर्यावरण इंजीनियरिंग का कोर्स चला रहा। जानकारों का कहना है कि आने वाले दो-तीन सालों में यह कोर्स ही खत्म हो जाएगा।
डॉ एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय से सम्बद्ध इंजीनियरिंग कॉलेजों में पर्यावरण इंजीनियरिंग करीब 15 साल पुराना कोर्स है। यूपी में दून कॉलेज, इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग टेक्नोलॉजी, हिन्दुस्तान इंजीनियरिंग कॉलेज, श्रीराम स्वरूप कॉलेज समेत करीब एक दर्जन से अधिक कॉलेजों में शुरू हुआ था। धीरे-धीरे छात्र संख्या कम होती चली गई और कॉलेजों में पर्यावरण इंजीनियरिंग का कोर्स बंद होता चला गया। यूपी के हिन्दुस्तान इंजीनियरिंग कॉलेज में बीटेक व श्रीराम स्वरूप इंजीनियरिंग कॉलेज में एमटेक पर्यावरण इंजीनियरिंग कोर्स चल रहा है।
बीटेक व एमटेक में सिर्फ दस छात्र
एकेटीयू प्रशासन के अनुसार हिन्दुस्तान इंजीनियरिंग कॉलेज में सिर्फ 6 छात्र बचें हैं जबकि श्रीराम स्वरूप इंजीनियरिंग में चले एमटीवी कोर्स में 4 पढ़ाई कर रहे हैं। जानकारों के अनुसार नए सत्र में भी पर्यावरण इंजीनियरिंग में दाखिला नहीं हुआ है। ऐसे में दो साल के भीतर यहां भी पर्यावरण इंजीनियरिंग का कोर्स बंद हो जाएंगा।
नौकरी की संभावनाएं हैं कम
एकेटीयू का घटक संस्थान आईईटी में अभी पर्यावरण इंजीनियरिंग का कोर्स चल रहा है। यहां पर बीटेक की 65 सीटें हैं और एमटेक पर्यावरण इंजीनियरिंग में 19 सीटें है। विभाग के प्रो एके शुक्ल बताते हैं कि आईईटी सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज है। लिहाजा यहां पर सारी सीटें भर जाती हैं। लेकिन पर्यावरण इंजीनियरिंग में छात्रों का रूझान तेजी से कम हुआ है।
आने वाले समय में पर्यावरण इंजीनियरिंग की काफी मांग होगी। बीटेक पर्यावरण कोर्स में छात्रों को हवा से होने वाले प्रदूषण को टेक्नोलॉजी से कैसे रोके, डिजास्टर इंजीनियरिंग समेत अन्य चीजें पढ़ाई जाती हैं।