कॉरपोरेट टैक्स में कटौती के लिए कारोबारियों को अभी और इंतजार करना पड़ सकता है. अपने चुनावी वादे को पूरा करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पास काफी कम गुंजाइश है.
इसकी वजह यह है कि मोदी सरकार को राजस्व में कमी की समस्या से जूझना पड़ रहा है. ऐसे में उसकी तरफ से कॉरपोरेट टैक्स को 30 फीसदी से घटाकर 25 फीसदी करने की गुंजाइश ना के बराबर है.
2019 के लोकसभा चुनाव से पहले सरकार का यह आखिरी पूर्ण बजट है. बजट के बाद कई राज्यों में चुनाव और अगले साल लोकसभा चुनावों को देखकर ये उम्मीद जताई जा रही है कि यह बजट लोकलुभावन होगा. हालांकि इकोनॉमी की सुस्त हालत और सरकार के राजस्व में कमी को देखते हुए ऐसा करना सरकार के लिए आसान नहीं होगा.
ब्लूमबर्ग ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि इंडस्ट्रीज को कॉरपोरेट टैक्स में कटौती के लिए अभी और इंतजार करना पड़ सकता है. पीएम मोदी ने 4 साल पहले 2015 में कॉरपोरेट टैक्स में कटौती का वादा किया था. हालांकि पिछले 4 साल के दौरान वह इस मोर्चे पर कोई रोडमैप भी तैयार नहीं कर पाए हैं.
सरकार की तरफ से देश में कारोबार करने के लिए लगातार नये-नये सुधार किए जा रहे हैं. लाल फीताशाही में कमी लाने के साथ ही बैड लोन रिकवरी की रफ्तार भी बढ़ी है. इससे भारत को अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं की तरफ से रेटिंग के मोर्चे पर काफी अच्छी खबरें मिल रही हैं. लेकिन घर में अर्थव्यवस्था की कई चुनौतियां मोदी सरकार के सामने खड़ी हैं.
निवेश को बढ़ाने की जरूरत
मोदी सरकार देश में विदेशी निवेश को बढ़ाने की जुगत में जुटी हुई है. पीएम नरेंद्र मोदी ने दावोस में भी विदेशी कंपनियों को भारत में निवेश करने के लिए न्यौता दिया है. निवेश बढ़ाने के लिए कॉरपोरेट टैक्स समेत कारोबार की अन्य बाधाओं को दूर करने पर उसका जोर है, लेकिन राजस्व की कमी ने इस काम को काफी मुश्किल कर दिया है.
2019 के लोकसभा चुनाव को देखते हुए यह तय माना जा रहा है कि इस बजट में सरकार का फोकस कृषि क्षेत्र पर रहेगा. इकोनॉमिक सर्वे में भी कृषि की हालत सुधारने पर जोर दिया गया है. वित्त मंत्री अरुण जेटली भी इस तरफ संकेत दे चुके हैं. ऐसे में बजट में कृषि के क्षेत्र के लिए आवंटन बढ़ सकता है.
भारत के सामने दूसरे देश भी चुनौती बनकर उभर रहे हैं. दूसरे देश लगातार कॉरपोरेट टैक्स घटाकर कारोबार के लिए माहौल सुधारने में जुटे हुए हैं. अगर भारत दुनिया की बड़ी-बड़ी कंपनियों को अपने देश में बुलाना चाहता है. निवेश बढ़ाना चाहता है, तो उसे भी कॉरपोरेट टैक्स में छूट जैसे कदम उठाने होंगे. हालांकि फिलहाल ये होता नहीं दिख रहा है.