कैसे करें दुर्गोत्सव के लिये घटस्थापना

माँ दुर्गा की आराधना के लिये मनाने जा रहे इस पर्व नवरात्रि के प्रथम दिन माता रानी की प्रतिमा विराजित करने के लिये हम मंत्रो का उच्चारण कर विधी-विधान से समस्त पूजा सामग्री के साथ माँ के लिये पूजा पाठ करते है। उसे ही घटस्थापना कहा जाता है। माँ की प्रतिमा को विराजित करने के लिये विशेष विधि के साथ पूजा पाठ करना अतिआवश्यक होता है। इस घटस्थापना के बाद ही नवरात्रि उत्सव का प्रारंभ होता है।

माँ दुर्गा व घटस्थापना के शुभ मुहूर्त का वर्णन इस प्रकार है-

हमें चाहिये की हम पवित्र स्थान की मिट्टी को लेकर एक सुंदर सी वेदी बनाकर या फिर माता रानी के स्थान के आस पास उस मिट्टी को उचित स्थान मे रखकर उसमे जौ और गेहूं बोएं, फिर वहां अपनी श्रद्धा व शक्ति के अनुसार बनवाए गए सोने, तांबे जैसी अन्य धातु अथवा मिट्टी के कलश की विधिपूर्वक पूजा करें। उस कलश को सुंदर सजा दें ।

माँ की प्रतिमा कच्ची मिट्टी, कागज या सिन्दूर या धातु की भी हो सकती है। बस मानने के भाव होते है की आप किस रूप में मानते है आपकी श्रद्धा भाव अच्छी होना चाहिये । सभी का फल एक जैसा है। माँ की प्रतिमा के सामने एक कलश को सजाकर उसमे पवित्र जल भरकर उसमे कुछ द्रव्य डाल दें फिर मंत्रो का उच्चारण कर उस कलश को जलाए और माँ तथा भगवान विष्णु का पूजन करें।

पूजन सात्विक होना चाहिये पूजा करने की विधी सही व दिशा का ज्ञान होना चाहिये की आप किस दिशा में बैठ कर पूजा कर रहे है, दक्षिण दिशा की तरफ मुख करके पूजा न करें। इस बात का विशेष ध्यान रखना अतिआवश्यक है। माता रानी का नित्य नियम से प्रातः काल पाठ करें। सच्चे दिल से उनकी आराधना व आरती करें।

व्रत रखने वाले और न रखने वाले सभी व्यक्तियों को चाहिये की वे स्वस्तिक वाचन-शांति, पाठ करके संकल्प करें और सर्वप्रथम भगवान श्री गणेश की पूजा कर मातृका, लोकपाल, नवग्रह व वरुण का सविधि पूजन करें।फिर मुख्य मूर्ति का षोडशोपचार पूजन करें। मतारानी की आराधना-अनुष्ठान में महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती का पूजन तथा श्री दुर्गा सप्तशती का पाठ 9 दिनों तक करना चाहिए। इच्छानुसार फल प्राप्ति के लिए विशेष मंत्र से अनुष्ठान करना या योग्य वैदिक पंडित से विशेष मंत्र से अनुष्ठान करवाना चाहिए।

यदि आप सच्चे मन से शांति के साथ सदभावना को लेकर माँ की उपासना करते है तो आप को माँ अवश्य फल देंगी व आपका जीवन मंगलमय व्यतीत होगा अपने विचारों को अच्छा मार्ग दें किसी के प्रति गलत भाव न रखे ईर्षा द्वेष आदि का भाव मन से निकाल दें आपका व्रत पूरा हो गया यही सच्ची बात है आपके जीवन के लिये।

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