
केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को बड़ा झटका दिया है। केंद्र सरकार ने देश में बढ़ रहे खेती संकट को हल करने और किसानों की आमदनी 2022 तक दोगुनी करने का लक्ष्य हासिल करने के लिए चार दिन पहले एक उच्चस्तरीय कमेटी बनाई है। इस कमेटी से पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को इससे बाहर रखा है। पंजाब को भारत का ‘अन्न का कटोरा’ कहा जाता है। इसकी सारी अर्थव्यवस्था खेती पर निर्भर है। ऐसे में पंजाब के सीएम को इस कोर ग्रुप से बाहर रखे जाने पर विशेषज्ञों ने हैरानी जताई है। विशेषेज्ञों का कहना है किऐसा लग रहा है यह हाई पावर्ड कमेटी पूरी तरह से सियासी कमेटी है।
कमेटी के चेयरमैन महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडऩवीस होंगे। यह कमेटी नीति में बदलाव, निवेश को आकर्षित करने और फूड प्रोसेसिंग को बढ़ाने संबंधी अपने सुझाव देगी। कमेटी में कर्नाटक, हरियाणा, अरुणाचल प्रदेश, गुजरात, उत्तर प्रदेश व मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री भी शामिल हैं। इसके अलावा केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और नीति आयोग के मेंबर रमेश चंद्र भी इस कमेटी के सदस्य होंगे। कमेटी को दो महीनों में अपनी रिपोर्ट सौंपने को कहा गया है। यह कमेटी आवश्यक वस्तु अधिनियम का भी निरीक्षण करेगा, ताकि खेती की मार्केटिंग और इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए निजी निवेश को भी बढ़ावा दिया जा सके।
राज्य के कृषि विशेषज्ञों व जानकारों का कहना है कि पंजाब में खेती संकट इस कद्र बढ़ चुका है कि हर रोज दो से तीन किसान व खेतिहर मजदूर आत्महत्या कर रहे हैं। राज्य सरकार की कर्ज माफी योजना भी इनको ऐसा करने से रोक नहीं पा रही है। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह दो बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से किसानों की कर्ज माफी में सहयोग करने की मांग कर चुके हैं, हालांकि केंद्र की ओर से अभी तक इसमें कोई सहयोग नहीं मिला है। बजट में केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने इस ओर कोई सहयोग की बात नहीं की। यही नहीं उन्होंने खेती संकट को दूर करने के लिए प्रधानमंत्री को कई और सुझाव भी दिए थे, जिसमें सभी फसलों को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदने को सुनिश्चित करने के बारे में कहा गया था।
पंजाब किसान आयोग के चेयरमैन अजयवीर जाखड़ ने भी पंजाब के मुख्यमंत्री को इस कोर कमेटी से बाहर रखने पर हैरानी जताई है। उन्होंने कहा कि जब भी खेती में बदलाव की बात होती है, तो देश की नजरें पंजाब पर रहती हैं। इतनी महत्वपूर्ण कमेटी में पंजाब की ही अवहेलना कर दी गई है।
उन्होंने कहा कि बजट से पहले एक बैठक में केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मल सीतारमण ने हम सभी को सुझाव के लिए बुलाया था, हमने जितने भी सवाल उठाए तो उन्होंने कुछ सुझावों के बारे में कह दिया कि इसका फैसला मुख्यमंत्रियों की मीटिंग में हो चुका है। कुछ सुझावों के बारे में कह दिया कि इस पर नीति आयोग काम कर रहा है। अब मुख्यमंत्रियों की कमेटी में पंजाब को शामिल ही नहीं किया, तो पंजाब अपना केस कहां रखे?
केंद्र ने जिस तरह की कोर कमेटी बनाई है, उसमें सभी भाजपा शासित प्रदेशों के सीएम हैं। केवल एक कर्नाटक का ही सीएम भाजपा शासित नहीं है। साफ है कि अपनी प्रदेश सरकारों के माध्यम से सरकार अपना एजेंडा सभी प्रदेशों पर लागू करेगी। उन्होंने कहा, पहले खेती को लेकर योजनाओं में 90 फीसदी हिस्सा केंद्र देता था और दस फीसद राज्य सरकारें, अब इन्हें बदलकर 60:40 कर दिया गया है। मैंने जब इस बारे में वित्तमंत्री की मीटिंग में सवाल उठाए तो सभी टाल दिए गए।
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