पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने बिजली एवं सिंचाई मंत्री राणा गुरजीत सिंह का इस्तीफा मंजूर कर लिया है। साथ ही उन्होंने राणा गुरजीत सिंह को दिए गए विभाग बिजली और सिंचाई का कार्यभार अपने हाथ में ले लिया है। राणा गुरजीत सिंह ने बीते चार जनवरी को मुख्यमंत्री को अपना इस्तीफा भेजा था, जिसे अस्वीकार करते हुए मुख्यमंत्री ने अंतिम फैसला पार्टी आलाकमान पर छोड़ दिया था।वीरवार को नई दिल्ली में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ हुई बैठक के बाद मुख्यमंत्री ने पत्रकारों से बातचीत में राणा गुरजीत सिंह का इस्तीफा स्वीकार कर लिए जाने की जानकारी दी। कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि कैबिनेट मंत्री राणा गुरजीत द्वारा 10 दिन पहले दिए इस्तीफे के मामले पर वीरवार को राहुल गांधी के साथ विचार-विमर्श के बाद उसे मंजूर करने का फैसला लिया गया है।
मुख्यमंत्री ने बताया कि अगली आवश्यक कार्रवाई के लिए राणा गुरजीत सिंह का इस्तीफा अब राज्यपाल को भेज दिया जाएगा। राणा गुरजीत ने रेत खड्डों की नीलामी में धांधली के आरोपों को आधार बनाते हुए चार जनवरी को मुख्यमंत्री को अपना इस्तीफा भेज दिया था। कैप्टन अमरिंदर सिंह ने बताया कि मंत्रिमंडल का विस्तार लुधियाना नगर निगम चुनाव के बाद किया जाएगा। उन्होंने पत्रकारों को बताया कि मंत्रिमंडल के विस्तार के लिए पहले की तरह अब भी नए मंत्रियों के चयन के लिए नौजवान और हुनर को प्रमुखता दी जाएगी।
एक अन्य प्रश्न के उत्तर में मुख्यमंत्री ने कहा कि राहुल गांधी के साथ कांग्रेस की पंजाब इकाई के पुनर्गठन के मामले पर भी विचार-विमर्श किया गया। उन्होंने कहा कि वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर जल्दी ही पार्टी का पुनर्गठन किया जाएगा।
हाईकमान का फैसला स्वीकार : राणा गुरजीत
चंडीगढ़। इस्तीफा मंजूर होने के बाद राणा गुरजीत सिंह ने पत्रकारों से बातचीत के दौरान मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह, सोनिया गांधी और राहुल गांधी का आभार व्यक्त
करते हुए कहा कि कांग्रेस पार्टी ने उन्हें सात बार कभी एमएलए तो कभी एमपी बनने का मौका दिया है।
इस बार पंजाब विधानसभा चुनाव में भी हाईकमान ने उन्हें टिकट दिया। उन्होंने कहा कि उन्हें हाईकमान का फैसला स्वीकार है। राणा गुरजीत सिंह ने कहा कि भले ही वे बीते दस साल से अपने परिवार के कारोबार से नहीं जुड़े हुए हैं लेकिन कुछ महीनों से छिड़े विवाद के कारण उन्होंने पार्टी हित में इस्तीफा देने का रास्ता चुना।
उन्होंने कहा कि वे पंजाब में कांग्रेस सरकार द्वारा किए अच्छे कार्यों में रुकावट नहीं खड़ी होने देना चाहते इसलिए उन्होंने पार्टी के हित में इस्तीफा दिया है। उन्होंने इस्तीफे पर आलाकमान के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि वे पार्टी के अनुशासित सिपाही हैं और पार्टी से सभी फैसलों को विनम्रता से स्वीकार करते हैं।