कैथल खंड मुख्यालय से सात किलोमीटर की दूरी पर बसे गांव खंडालवा की पहचान राजस्व रिकॉर्ड के अनुसार बेचिराग गांव के रूप में है। यहां पर एक प्राचीन शिव मंदिर है जिसमें भोलेनाथ को खटवांगेश्वर महादेव से जाना जाता है।
हरियाणा के कलायत विधानसभा का सबसे छोटे गांव खंडालवा में किसी ने भी मतदान नहीं किया। बता दें कि इस गांव में एकमात्र मतदाता था। परंतु अब दो नए और संतों के वोट बन गए हैं, लेकिन मतदान प्रक्रिया में हिस्सा नहीं किया। बीड खंडालवा गांव को राजस्व रिकार्ड में बे-चिराग गांव के नाम से जाना जाता है। इस गांव में 12वीं तक का स्कूल है। डाकघर है और गांव का अलग से पटवारी भी है। इस गांव की जो आबादी कुल पांच है जो खंडालवा मंदिर में रहने वाले संत हैं। मंदिर के पांच संतों रघुनाथ गिरी, धर्मेश्वर गिरी, आत्मा गिरी, लाल गिरी व प्रभात गिरी में से किसी ने भी मतदान नहीं किया।
प्रभात गिरी ने कहा कि वे 80 वर्ष के हो गए हैं जब से उन्होंने सन्यास लिया। तब से लेकर आज तक उन्होंने अपना वोट ही नहीं बनवाया। रघुनाथ गिरी का कहना था कि संतों का राजनीति से दूर रहना ही बेहतर है। धर्मेश्वर गिरी ने कहा कि संत समाज देश को दिशा देने में सामर्ध्यवान होना चाहिए। समय की मांग है कि संत समाज निर्विकार भाव से सामने आए और राष्ट्र के प्रति अपने दायित्व का निर्वहन करे। गांव खंडालवा पौराणिक महत्ता का स्थान है। यहां पर भोलेनाथ को खटवांगेश्वर महादेव से जाना जाता है।
मान्यता है कि इक्ष्वाकु वंश में भगवान राम से 14 पीढ़ी पूर्व हुए राजा खटवांग। देव दानवों के युद्ध में उन्होंने देवों की और से लड़ते हुए दानवों को परास्त किया था। इस स्थान पर उन्होंने तपस्या की जिस पर प्रसन्न होकर भोलेनाथ ने उन्हें अपने नाम से जाने जाने का वरदान दिया था।