उन पर आरोप है कि वह सहारनपुर दंगे के दौरान भीम आर्मी के संपर्क में थे. आइए जानते हैं कि पूर्व सीएम के भाई आनंद के धन कुबेर बनने वाले सफर के बारे में.
नोएडा अथॉरिटी में र्क्लक थे आनंद
एक जांच रिपोर्ट में सामने आया था कि पूर्व सीएम मायावती के भाई आनंद कुमार वर्ष 2007 से पहले नोएडा अथॉरिटी में एक मामूली र्क्लक हुआ करते थे. 2007 तक वह लगातार अपनी नौकरी करते रहे. नौकरी के दौरान मीडिया ही नहीं राजनीतिक सुर्खियों से भी वो बहुत दूर थे.
7 साल में एक कंपनी से हो गईं 45 से अधिक कंपनी
जानकारों की मानें तो जांच एजेंसी के आनंद पर आरोप हैं कि वर्ष 2007 में जब आनंद कुमार नोएडा अथॉरिटी में नौकरी करते थे तो उन्होंने एक कंपनी बनाई थी. लेकिन ईडी की एक जांच के दौरान सामने आया कि वर्ष 2014 तक आनंद ने 45 से अधिक कंपनियां खड़ी कर ली थीं.
7 साल में 7.5 करोड़ से 1316 करोड़ का सफर
ईडी और इनकम टैक्स के आरोपों के अनुसार जांच में खुलासा हुआ है कि वर्ष 2007 के दौरान आनंद कुमार के पास करीब 7.5 करोड़ रुपये की संपत्ति थी. लेकिन सात साल में वर्ष 2014 तक आनंद ने अपनी संपत्ति को बढ़ाकर 1316 करोड़ रुपये कर लिया था.
ये भी आरोप लगे है कि इन सात साल के दौरान पांच साल मायावती की सरकार रही थी. जांच के दौरान इस संबंध में आनंद का कहना था कि इस दौरान उनकी कंपनियों के मुनाफे में 18000 प्रतिशत का उछाल आया था.
र्क्लक से धनकुबेर और अब बसपा में नंबर दो की हस्ती
अपने 10 साल के सफर में आनंद एक र्क्लक से धनकुबेर बने और उसके बाद हाल ही में उन्हें बसपा में शामिल किया गया है. उन्हें महासचिव का पद दिया गया है. नसीमउद्दीन पार्टी से बाहर हो चुके हैं. सतीश मिश्रा से पहले और मायावती के बाद पार्टी में अब आनंद का नाम आता है.
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