मलप्पुरम संसदीय क्षेत्र साल 2008 में परिसीमन के बाद बनाया गया, पहले यह इलाका मंजेरी संसदीय क्षेत्र के तहत आता था. इसमें मलप्पुरम जिले का समूचा इलाका आता है. मलप्पुरम जिला केरल का चौथा सबसे बड़ा शहरी केंद्र है. मलप्पुरम संसदीय क्षेत्र मुस्लिम बहुल है और इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग यानी आईयूएमएल का गढ़ है. यहां सिर्फ एक बार 2004 में तत्कालीन मंजेरी सीट पर माकपा कैंडिडेट जीता था, इसके अलावा आजादी के बाद हुए हर चुनाव में यहां से आईयूएमएल का कैंडिडेट जीता है.
साल 2009 और 2014 में लगातार दो बार आईयूएमएल के नेता ई. अहमद जीतकर सांसद बने थे. इस संसदीय क्षेत्र के तहत सात विधानसभा क्षेत्र आते हैं-कोनदोत्ती, मंजेरी, पेरिन्थलमन्ना, मनकडा, मलप्पुरम, वेंगारा और वल्लिकुन्नू.
साल 2017 में हुआ उपचुनाव
लेकिन पूर्व केंद्रीय मंत्री और सांसद ई. अहमद का 2017 में निधन हो गया, जिसके बाद साल 2017 में ही यहां हुए उपचुनाव में आईयूएमएल कैंडिडेट पी.के. कुनहलीकुट्टू 5,15,330 वोट पाकर जीत गए. वह 1,71,023 वोटों से जीते और उन्हें 55 फीसदी वोट मिले. कुनहलीकुट्टू को सभी विधानसभा क्षेत्रों में बंपर वोट मिले.
दूसरे स्थान पर रहे माकपा के एमबी फैजल को 3,44,307 वोट मिले, जबकि तीसरे स्थान पर रहे बीजेपी के एन. श्रीप्रकाश को 65,675 वोट मिले. नोटा बटन 4,098 लोगों ने दबाया. साल 2014 के चुनाव में यहां 11,98,444 मतदाता थे, जिनमें से 5,98,207 पुरुष और 6,00,237 महिलाएं थीं. लेकिन साल 2017 के उप चुनाव में इस क्षेत्र में मतदाता बढ़कर 13,12,693 तक पहुंच गए.
सत्तर फीसदी आबादी मुस्लिमों की
2014 के चुनाव में आईयूएमएल के ई. अहमद को 4,37,723 वोट मिले थे. उन्हें कुल 51.29 फीसदी वोट मिले थे और वह 1,94,729 मतों के भारी अंतर से विजयी हुए थे. ईदाप्पकथ अहमद यानी ई. अहमद मनमोहन सिंह की सरकार में विदेश राज्य मंत्री रहे हैं. वह इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे. उनका 1 फरवरी, 2017 को कार्डिएक अरेस्ट से निधन हो गया.
औसत रहा मौजूदा सांसद का प्रदर्शन
मौजूदा सांसद को पिछले दो साल में सांसद निधि के तहत 7.70 करोड़ रुपये ब्याज सहित मिले हैं, जिसमें से वह सिर्फ 3.03 करोड़ रुपये खर्च कर पाए हैं. कुनहलीकुट्टू पहली बार सांसद बने हैं. 67 वर्षीय इस सांसद का संसद में प्रदर्शन औसत ही रहा. उनके परिवार में पत्नी के अलावा एक बेटा और एक बेटी है. उन्होंने बीकाॅम के अलावा बिजनेस मैनेजमेंट में डिप्लोमा किया है. संसद में उनकी उपस्थिति करीब 47 फीसदी रही. पिछले दो साल के कार्यकाल में उन्होंने 73 सवाल पूछे और 7 बार बहस या अन्य विधायी कार्यों में हिस्सा लिया.