जाको राखे साइयां मार सके न कोय … यह कहावत क्यूंजा घाटी कालई गांव निवासी देवराज सिंह नेगी के लिए सही साबित हो रही है। वह 15 जून को केदारनाथ से आर्यन कंपनी के उसी हेलिकॉप्टर से अपने घर के लिए रवाना होने वाले थे, जो गौरी माई खर्क में क्रैश हो गया था।
पर उन्हें हेली कंपनी के ही एक कर्मचारी ने यह कहकर रोक दिया कि तुम्हें दूसरी शटल से भेज देंगे। कुछ देर में जब देवराज को पता लगा कि हेलिकॉप्टर क्रैश हो गया है, तो उसका पूरा शरीर कांपने लगा। उसे अब भी यकीन नहीं हो रहा है कि उसका जीवन बच गया है। कहा, हेली कर्मी मेरे लिए देवदूत बनकर आया, अन्यथा कुछ भी हो सकता था।
कालई गांव के देवराज नेगी केदारनाथ में एक दुकान में काम करते हैं। कपाट खुलने के कुछ दिन बाद ही वह धाम पहुंचे थे और पूजन व प्रसाद सामग्री की दुकान में नौकरी करने लगे। दस जून को फिसलने से उनके हाथ में चोट लग गई थी।
केदारनाथ में विवेकानंद अस्पताल में जांच कराई तो कलाई की हड्डी टूटी मिली, जिस पर प्लास्टर लगा दिया गया। ऐसे में देवराज दुकान में सही से काम नहीं कर पा रहे थे। जिससे उन्होंने धाम से घर लौटने का निर्णय लिया।
उन्होंने एक परिचित से घर जाने के लिए हेलिकॉप्टर टिकट की बात की। उसने कहा कि वह 15 जून की सुबह पांच बजे हेलिपैड पर पहुंच जाए तो जा सकता है। उसने अपने परिजनों को भी फोन पर घर आने की बात बता दी। रविवार को तड़के 4.35 बजे ही वह हेलिपैड पर पहुंच गया।
करीब 5.18 बजे आर्यन हेली एविएशन का हेलिकॉप्टर हेलिपैड पर लैंड हुआ, वह जब आगे बढ़ा तो हेली कंपनी के एक कर्मचारी ने उससे कहा कि भाई तुम्हें दूसरी शटल से भेज देंगे। देवराज ने बताया कि कुछ देर बाद सूचना मिली कि हेलिकॉप्टर लापता हो गया है। इसके बाद वह पैदल मार्ग से घर के लिए निकल पड़े।
जब रामबाड़ा पहुंचे तो पता चला कि जिस हेलिकॉप्टर में वह बैठना चाह रहे थे, वह क्रैश हो गया और सभी मारे गए। यह सुन मेरा शरीर कांपने लगा और तेज पसीना आने से एक जगह पर बैठ गया। सच में वह हेली कर्मचारी मेरे लिए देवदूत बनकर आया, अब भी विश्वास नहीं हो रहा कि मैं सकुशल अपने घर लौट आया हूं।
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