केंद्र सरकार किसानों की बात सुनने के बजाय उनकी आवाज दबाने की कोशिश कर रही है : शिअद नेता सुखबीर सिंह बादल

किसान आंदोलन में वामपंथियों और माओवादियों की घुसपैठ के बयानों पर राजनीति गरमा गई है। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने आंदोलन के माआवादियों और वामपंथियों के हाथों में चले जाने की बात कही थी। इस पर किसान संगठनों ने कहा कि अगर ऐसा है तो केंद्र उन लोगों को सलाखों के पीछे डाल दे। भारतीय जनता पार्टी की पूर्व सहयोगी और पंजाब के प्रमुख राजनीतिक दल शिरोमणि अकाली दल (शिअद) ने भी इस पर नाराजगी जताई है। 

पार्टी के प्रधान सुखबीर सिंह बादल ने कहा कि  किसान संगठनों को खालिस्तानियों और राजनीतिक दलों की संज्ञा देकर आंदोलन को बदनाम किया जा रहा है। अगर कोई केंद्र से असहमत है तो वे उन्हें देशद्रोही कहते हैं। यह दुर्भाग्यपूर्ण है। ऐसे बयान देने वाले मंत्रियों को सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी चाहिए।

हम केंद्र के इस रवैये और ऐसे बयानों की निंदा करते हैं। केंद्र किसानों की बात सुनने के बजाय उनकी आवाज दबाने की कोशिश कर रहा है। जब किसान कृषि कानून नहीं चाहते तो केंद्र क्यों नहीं मान रहा। मेरा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अनुरोध है कि वे किसानों की बात सुनें। 

इससे पहले भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा था कि अगर खुफिया एजेंसियों को लगता है कि कोई प्रतिबंधित लोग हमारे बीच घूम रहे हैं, तो उन्हें सलाखों के पीछे डाल दें। हमें ऐसा कोई व्यक्ति यहां नहीं मिला। 

वहीं केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने कहा कि किसानों को समझना चाहिए कि उनके आंदोलन से लोगों को परेशानी हो रही है। किसान आंदोलन में वामपंथियों की घुसपैठ पर तोमर ने कहा कि वे किसान संगठनों से मिले लेकिन उनमें कुछ वामपंथी भी थे। ये उन्हें बाद में पता चला। इनमें उगराहां हैं, हन्नान मुल्ला हैं। किसान आंदोलन के गलत दिशा में जाने से सरकार चिंतित है। 

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com